Rajasthan Election: इन पांच सीटों पर दिख रहा गहलोत-पायलट की 'दोस्ती' का अलग असर, कुछ और ही बयां कर रही जमीनी हकीकत
Rajasthan Politics: राजस्थान की कई सीटों पर बागी कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. इन सीटों पर टिकट की दावेदारी में शामिल रहे नेता निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में किस्मत आजमा रहे हैं.
Rajasthan Assembly Election 2023 News: राजस्थान के जयपुर संभाग की कई ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां पर कांग्रेस के लिए कई तरह की मुश्किलें खड़ी हो गई हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच हुई दोस्ती का बड़ा असर दिख रहा है. जिन सीटों पर सचिन पायलट के समर्थक चुनावी मैदान में है, उन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार भी पूरी मजबूती के साथ चुनावी मैदान में हैं. कई सीटों पर कांग्रेस के पूर्व दिग्गज नेता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से वहां पर चुनाव लड़ रहे हैं. इसका असर चुनाव में भी दिख रहा है.
सीकर जिले की श्रीमाधोपुर विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले स्थिति बन गई है. यहां पर सचिन पायलट के खास और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है. यहां पर इस बार कांग्रेस से टिकट मांग रहे बलराम यादव निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में मैदान में हैं. बलराम कांग्रेसी हैं, इसलिए उनके साथ कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग जुड़ गया है. बीजेपी ने झबर सिंह कर्रा को मैदान में उतारा है. पिछली बार खर्रा 10 हजार मतों से चुनाव हार गए थे. इस बार बलराम यादव ने यहां का पूरा समीकरण बिगाड़ दिया है. लोगों का कहना है कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत की एक साथ रैली और सभा होगी तो कुछ बात बन सकती है. मगर, ऐसा दिख नहीं रहा है.
शाहपुरा में यादवों की लड़ाई में बेनीवाल
वहीं शाहपुरा विधानसभा सीट पर सचिन पायलट के खास मनीष यादव को कांग्रेस पार्टी ने टिकट दिया है. करीबी होने के बावजूद के सचिन पायलट पूरी तरह से यहां सक्रिय नहीं हैं. यहां से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में आलोक बेनीवाल मैदान में है. पिछली बार जब मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी, तब मनीष यादव कुछ हजार वोटों से चुनाव हार गए थे. हालांकि इस बार बीजेपी ने प्रत्याशी बदल दिया है, लेकिन कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में दो मजबूत उम्मीदवार हैं. यहां पर सचिन पायलट और अशोक गहलोत की एकजुटता नहीं दिख रही है. कांग्रेस दो धड़ों में बंटी हुई दिखाई पड़ रही है. यहां पर मौजूदा विधायक आलोक बेनीवाल ने माहौल त्रिकोणीय बना दिया है.
विराट नगर में कांग्रेस की 'फूट' पर 'फूल'
विराट नगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने सचिन पायलट के खास इंद्राज गुर्जर को टिकट दिया है. यहां से पूर्व विधायक रामचन्द्र सराधना आजाद समाज पार्टी (कांशी राम) से मैदान में है. दूसरी तरफ बीजेपी ने पिछली बार निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले कुलदीप धनखड़ को मैदान में उतार दिया है. कुलदीप दूसरे स्थान पर रहे थे. विराट नगर में गुर्जर वोटर्स की निर्णायक भूमिका रहती है. ऐसे में यहां पर गुर्जर वोटर्स बंट जाएंगे. यहां पर सचिन पायलट की 20 नवंबर को रैली हो सकती है. इस सीट पर अशोक गहलोत के समर्थक दूरी बना रहे हैं. विराटनगर में लोगों ने बताया कि यहां पर रामचन्द्र सराधना को अशोक गहलोत के समर्थक सपोर्ट कर रहे हैं. यहां पर पिछली बार की तरह एकजुटता नहीं दिख रही है. यहां पर कांग्रेस की 'फूट' पर 'फूल' पर भारी पड़ सकता है.
हवामहल सीट पर कैसी है सियासी हवा?
हवामहल विधानसभा सीट, जयपुर शहर की प्रमुख सीट है. यहां पर इस बार सीएम अशोक गहलोत के खास महेश जोशी का टिकट काट दिया गया है. उनकी जगह गहलोत के ही करीबी आरआर तिवाड़ी को कांग्रेस पार्टी ने मैदान में उतारा है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि यहां पर सचिन पायलट और अशोक गहलोत के समर्थक अलग-अलग धड़ों में बंटे नजर आ रहे हैं. हवामहल विधानसभा सीट पर बीजेपी ने नए चेहरे को मौका दिया है. इस बार यहां से बालमुकंद आचार्य बीजेपी प्रत्याशी हैं. यहां पर जमीन पर महेश जोशी का असर दिखता है.
गहलोत-पायलट की जोड़ी दिखा सकती है असर
चौमूं विधानसभा सीट पर बीजेपी के रामलाल शर्मा मैदान में है, शर्मा सीटिंग विधायक हैं. हालांकि कांग्रेस ने अपना चेहरा बदल दिया है. यहां से शिखा मील बराला को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है. पिछली बार यहां से भगवान सहाय सैनी मात्र 2 हजार से काम वोटों से हार गए थे. यहां पर आरएलपी ने छुट्ट्न लाल यादव को मैदान में उतारा है. छुट्ट्न को पिछली बार 40 हजार के आसपास मत मिले थे. यहां पर कांग्रेस एक जुट नहीं हो पा रही है. यहां पर सैनी वोटर्स अधिक हैं. इसलिए अशोक गहलोत और सचिन पायलट की एक साथ रैली कुछ नया कर सकती है. यहां पर मामला त्रिकोणीय बन गया है.
वेट एंड वाच की स्थिति में सचिन
राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार हरीश मलिक का कहना है कि सचिन पायलट अभी वेट एंड वाच की स्थिति में है. उन्होने अपने लोगों को टिकट तो दिलवा दिया है, अब उन्हें जिताने की जिम्मेदारी है. इसलिए सचिन पायलट इंतजार में है. वहीं भितरघात से नुकसान की स्थिति बनी हुई है. इसका असर चुनाव परिणाम पर भी दिख सकता है.
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