Rajasthan Elections 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर आचार संहिता जल्द ही लगने वाली है. इस चुनावी रण में कांग्रेस बीजेपी सहित अन्य दल सक्रिय हो गए हैं. राजनीतिक पार्टियों की रैली और सभा में बयानबाजी और आरोप प्रत्यारोप सुर्खिया बन रही हैं. इस बीच राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने कहा कि, केंद्र सरकार और अमित शाह (Amit Shah) के दिल में आग लगी हुई है. हम राजस्थान की सरकार को क्यों गिरा नहीं पाए? यह तो आप जनता का आशीर्वाद था, जो आज मैं मुख्यमंत्री के रूप में आप लोगों के सामने खड़ा हूं.
सीएम अशोक गहलोत ने सभा को संबोधित करते हुए एक बार फिर 2020 में सरकार पर आये संकट की कहानी दोहराई. उन्होंने कहा, "सरकार गिराने के मंसूबे पूरे नहीं हुए. अमित शाह और उनके नेताओं के दिल में दर्द छुपा हुआ है. बीजेपी के हाईकमान व अमित शाह के दिल में आग लगी हुई है कि हम राजस्थान की सरकार को क्यों नहीं गिरा पाए. राजस्थान सरकार का ऐसे समय मे पूरे प्रदेशवासियों ने साथ दिया. इसलिए हमारी सरकार बची है. रणदीप सुरजेवाला, अजय माकन, के सी वेणुगोपाल व पार्टी के कई नेताओं के प्रयासों से हमारी सरकार बची है. उस संकट की घड़ी में पब्लिक ने अपना आशीर्वाद दिया था."
2020 में क्या हुआ था?
सीएम अशोक गहलोत ने आगे कहा, "उस दौरान पब्लिक खुद MLA को फोन करती थी और कहती थी कि, चाहे छह महीने होटल में रुकना पड़े रुक जाओ, सरकार किसी भी कीमत पर गिरनी नहीं चाहिए. यह भावना पब्लिक की थी, तो आप लोग सोच सकते हो कि प्रदेशवासियों के आशीर्वाद से ही सरकार बची है. यह मैं आह्वान करना चाहता हूं कि, जो लोग बदला लेने के लिए दिल्ली से आ रहे हैं, अब उनको सबक सिखाने का काम भी पब्लिक को ही करना है."
दरअसल, साल 2020 में राजस्थान की गहलोत सरकार पर संकट के बादल छा गए थे, क्योंकि राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित अन्य मंत्रियों व विधायकों ने बगावत कर दी थी और मानेसर में जाकर बैठ गए थे. मौजूदा गहलोत सरकार अल्पमत में आ गई थी.
गजेंद्र सिंह शेखावत पर लगा था ये आरोप
सीएम अशोक गहलोत ने उस दौरान केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर सरकार गिराने का षड्यंत्र रचने आरोप लगाया था. उस दौरान राजस्थान की गहलोत सरकार के समर्थक विधायक व मंत्री 60 दिन तक होटल में रहे थे. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बगावत करने वाले तत्कालीन उपमुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट सहित कई मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया था. इसके बाद लंबे संघर्ष के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद की सरकार को बचाने में कामयाब हुए थे.