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Rajasthan Election 2023: पूर्वी राजस्थान में MBC समाज का कितनी सीटों पर असर, किस पार्टी की तरफ है झुकाव? जानें समीकरण

Rajasthan Elections: पूर्वी राजस्थान में जिन सीटों पर मोस्ट बैकवर्ड कास्ट के 30 हजार से अधिक वोटर्स हैं, उन पर बदलाव आता दिख रहा है. दौसा की बांदीकुई में एमबीसी समाज के कुल 38000 हजार वोटर्स हैं.

Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान (Rajasthan) के चुनाव में हर बार यहां के पूर्वी हिस्से के वोटर्स का मूड समझना ज्यादा मुश्किल रहता है. क्योंकि पूर्वी राजस्थान के वोटर्स का मूड हर बार बदल जाता है. पूर्वी राजस्थान में कुल सात जिले आते हैं. इन जिलों में एमबीसी और मीणा समाज का ज्यादा का प्रभाव है. इस बार भी यहां एमबीसी समाज के वोटर्स का मूड बेहद महत्वपूर्ण हो गया है. क्योंकि इस पर खुद गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय बैंसला (Vijay Bainsla) कई राजनीतिक इशारे कर चुके हैं. 

इसका असर अब बीजेपी में दिखने लगा है. क्योंकि भरतपुर आ रहे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) की जनसभा में विजय बैंसला को आमंत्रित किया गया है. पूर्वी राजस्थान की कमान खुद बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संभाल ली है. क्योंकि साल 2018 के विधान सभा चुनाव में इस बेल्ट में बीजेपी को बड़ा नुकसान हुआ था. पूर्वी राजस्थान के बेल्ट में अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, टोंक, सवाई माधोपुर और दौसा जिले आते हैं. इन जिलों में कुल 39 विधानसभा सीटें हैं. यहां हर बार पर बदलाव हो जाता है.

सात जिले और 39 सीटें बेहद महत्वपूर्ण
वहीं अगर आकंड़ों में देखा जाए तो साल 2013 के विधान सभा चुनाव में यहां बीजेपी को 28 सीटें मिली थीं. वहीं कांग्रेस को सात, डॉ. किरोड़ीलाल मीणा की पार्टी एनपीपी को तीन और एक सीट बसपा को मिली थी, लेकिन साल 2018 के विधानसभा चुनाव में पूरा खेल पलट गया. यहां 2018 में कांग्रेस को 25, बसपा को पांच, निर्दलीयों को चार, आरएलडी को एक सीट और बीजेपी को महज चार सीटों पर ही संतोष करना पड़ा. यहीं पर एमबीसी और मीणा वोटर्स के मूड को भापना बेहद कठिन हो जाता है.

क्या है सीटों पर वोटों का खेला?
पूर्वी राजस्थान में जिन सीटों पर मोस्ट बैकवर्ड कास्ट के 30 हजार से अधिक वोटर्स हैं, उन सीटों पर बेहद बदलाव आता रहा है. एमबीसी में गुर्जर, गड़रिया, रेबारी, राइका, गड़िया लोहार, देवासी और बंजारा जाति के लोग आते हैं. एमबीसी समाज की लड़ाई लड़ रहे विजय बैंसला की माने तो दौसा की बांदीकुई में एमबीसी समाज के कुल 38000 हजार वोटर्स हैं. इसी तरह दौसा जिले की सभी सीटों पर एमबीसी समाज के 30 हजार से 38 हजार के बीच वोटर्स हैं. भरतपुर जिले के बयाना में 58 हजार से अधिक एमबीसी समाज के वोटर्स हैं. साथ ही भरतपुर की सभी सीटों पर 30 हजार से अधिक एमबीसी समाज के मतदाता हैं. 

वहीं करौली जिले की बारी सीट पर सबसे अधिक 49 हजार वोट एमबीसी समाज का है. यही नहीं करौली जिले की सभी सीटों पर  एमबीसी समाज के मतदाताओं की संख्या 30 हजार से 50 हजार के बीच है. टोंक, सवाईमाधोपुर और बामनवास में एमबीसी समाज के कुल 40 हजार वोटर्स हैं. बाकी सीटों पर भी इनकी संख्या 30 हजार से 40 हजार के बीच है. इसी तरह से अलवर की भी कई सीटों पर भी इस समाज का बड़ा प्रभाव है. 

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