Rajasthan Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (bjp) की पहली लिस्ट जारी होने में हो रही देरी की चर्चा होने लगी है. बीजेपी के पास जिन प्रत्याशियों के नाम थे उन्हें जारी करना चाहती थी मगर अब उन नामों पर आरएसएस सहमति नहीं दे पा रहा है. इसलिए मामला फंस गया है. दरअसल, राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में से 30 से 35 सीटों पर आरएसएस के कार्यकर्ता और उनसे जुड़े लोग टिकटों के दावे करते हैं.


इस बार भी 35 सीटों पर उनकी दावेदारी बनी हुई है. ऐसे में बीजेपी और आरएसएस के बीच सहमति नहीं बन पा रही है. आरएसएस चाहती है कि जयपुर जिले की सभी सीटों पर नए चेहरे उतारे जाये.


इस वजह से जो लिस्ट आनी थी वह रुक गई है. इसके पहले कई ऐसे उदाहरण रहे हैं जब बीजेपी की लिस्ट पर आरएसएस ने अपनी सहमति नहीं दी है. पिछले चुनावों में देखें तो जयपुर की किशनपोल विधानसभा सीट पर आरएसएस ने रामेश्वर भारद्वाज के नाम पर अपनी पसंद बताई थी. इस नाम पर आरएसएस अड़ गई थी. रामेश्वर भारद्वाज को टिकट मिला और उन्हें जीत मिली. इस बार कुछ ऐसी ही स्थिति बनी हुई है. 


इन सीटों पर लगा वीटो पावर 


जयपुर जिले की मालवीयनगर, आमेर, हवा महल, झोटवाड़ा, सांगानेर और किशनपोल विधानसभा सीट पर आरएसएस ने अपना वीटो पावर लगा दिया है. अगर राजस्थान की बात करें तो बूंदी, आसींध, सोजत, कठूमर, भीलवाड़ा और सीकर विधान सभा सीट पर आरएसएस नए चेहरों को आगे लाना चाहती है. यहां पर आरएसएस के पसंद के प्रत्याशी को  टिकट मिल सकता है. ऐसे में बीजेपी की पसंद को आरएसएस ने अभी हरी झंडी नहीं दी है. माना जा रहा है इन सीटों पर बदलाव देखे जा सकते हैं.


पूनियां की बीएल संतोष से एक घंटे हुई मुलाकात 


जयपुर में अमित शाह, जेपी नड्डा और बीएल संतोष ने बुधवार को बीजेपी के नेताओं के साथ से बैठक की है. आज अमित शाह, जेपी नड्डा और बीएल संतोष की राजस्थान में आरएसएस के नेताओं से मुलाक़ात होनी थी, मगर मुलाकात नहीं हो पाई है. वही होटल में सुबह बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन ) बीएल संतोष से राजस्थान में उपनेता प्रतिपक्ष डॉ सतीश पूनियां की एक घंटे तक अकेले में मुलाकात हुई है. इसके कई सियासी मायने बताए जा रहे हैं. जैसे आने वाले समय में चुनाव प्रचार और चुनाव को लेकर रणनीति, कार्यक्रमों पर मंथन हुआ है. 


मध्य प्रदेश को नहीं किया जाएगा फॉलो 


सूत्र बता रहे है कि कुछ नेताओं को चुनाव लड़ने के लिए संकेत दे दिए गए हैं. मगर, उनके नाम की घोषणा नहीं हो रही है. ऐसे में वो नेता अपने विधान सभा सीट पर जाने लगे हैं. सूत्र यहां तक बता रहे है कि अगर मध्य प्रदेश की तर्ज पर यहां पर टिकट घोषित हो जायेंगे तो विवाद बढ़ जाएगा. इसलिए उनके नाम पर सहमति बनने के बाद भी देर से फैसला होगा. अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में यह संभव हो सकता है. 


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