Rajasthan Mnarega Figures: देश में बेरोजगारी (Unemployment) सबसे बड़े मुद्दों में से एक है. 5 राज्‍यों के विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) में भी रोजगार (Employment) को लेकर तमाम पार्टियां अपने-अपने दावे कर रही हैं. लेकिन, बेरोजगारी को लेकर छिड़ी इस बहस के बीच महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) से जुड़े हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं. बात राजस्थान (Rajasthan) की करें तो यहां 1.07 करोड़ ने रोजगार मांगा लेकिन मिला कुल 15.45 लाख लोगों को. 


काम मांगने पर भी रोजगार नहीं मिला 
आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो बीते 4 वर्षों के दौरान पिछले साल मनरेगा में रोजगार की कमी सबसे ज्‍यादा रही. नौबत यहां तक आ गई कि मनरेगा में मांगने पर भी लोगों को रोजगार नहीं मिल सका. पिछले साल 1.89 करोड़ लोग ऐसे रहे, जिन्‍होंने मनरेगा में काम मांगा, लेकिन उन्‍हें काम नहीं मिल सका. वित्त वर्ष 2021-2022 में 11.6 करोड़ लोगों ने मनरेगा के तहत रोजगार मांगा, जिनमें 9.7 करोड़ को ही काम मिल सका. 


गंभीर हो सकती है समस्या 
बता दें कि, 2022 के बजट में मनरेगा के लिए 25 प्रतिशत बजट को घटा दिया गया. ऐसे में विशेषज्ञ ये आशंका जता रहे हैं कि इससे बेरोजगारी की समस्‍या कहीं और गंभीर ना हो जाए. पिछले साल मनरेगा के लिए सरकार ने 98 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा था, जिसे इस साल इसे घटाकर 73 हजार करोड़ कर दिया गया है. 


सरकार ने शुरू की नई पहल 
गौरतलब है कि, मनरेगा में श्रमिकों की फर्जी हाजिरी पर लगाम लगाने के लिए राजस्थान सरकार ने नई पहल शुरू की है. इसके तरत मनरेगा में कार्यरत श्रमिकों की उपस्थिति ऑनलाइन एप के जरिए ली जाएगी. नई व्यवस्था से फर्जी श्रमिकों को लेकर आ रही शिकायतों पर लगाम लग सकेगी साथ ही श्रमिकों का भुगतान भी समय पर होगा. अब फोटो युक्त ऑनलाइन माध्यम से उपस्थिति व्यवस्था के चलते काफी हद तक इस फर्जीवाड़े पर रोक लग सकेगी. इसके लिए जिले में सभी मेटों को पंचायत समिति सभागार में भी प्रशिक्षित किया गया है.


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