Rajasthan: दोनों हाथ गंवाने के बाद भी इस खिलाड़ी ने हासिल किया बड़ा मुकाम, लोग कहते थे अब किसी काम का नहीं रहा 'पिंटू'
Jodhpur News: राजस्थान के एक शख्स ने 2 अलग-अलग दुर्घटनाओं में अपने दोनों हाथ खो दिए लेकिन हौसला हमेशा बना रहा. ये कहानी खिलाड़ी पिंटू गहलोत की है.
Rajasthan Pintu Gehlot: हार हो जाती है, जब मान लिया जाता है और जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है. जिंदगी की जद्दोजहद से लड़ने के लिए इंसान को सहारे की जरूरत होती है. इंसान को जब सहारा मिलता है तो वो कुछ भी कर जाता है. ऐसे इंसान को अगर सफल और प्रसिद्ध लोगों के कुछ चुनिंदा शब्द मिल जाएं तो वो जिंदगी में और भी सफल हो जाएगा. एक ऐसे ही शख्स की प्रेरणादायक कहानी है, जिसने 2 अलग-अलग दुर्घटनाओं में अपने दोनों हाथ खो दिए लेकिन हौसला हमेशा बना रहा.
हौसले को सलाम
विपरीत परिस्थितियों में भी हौसला नहीं खोने वाले इस शख्स का नाम पिंटू गहलोत (Pintu Gehlot) है. पिंटू ने पहले तो तैराकी (Swimming) में नाम कमाया. लेकिन, कोरोना काल में दोनों हाथ ना होने के बावजूद भी पिंटू ने कड़ी मेहनत करते हुए ताइक्वांडो मार्शल आर्ट में महारथ हासिल की है. पिंटू पैरा एशियन प्रतियोगिता में देश का नेतृत्व करने जा रहे हैं.
कोच भी रह गए हैरान
दरअसल, कोरोना महामारी के दौरान सभी जगह जब स्विमिंग स्कूल बंद होल गए तो ऐसे में पिंटू ने कोच से ताइक्वांडो की ट्रेनिंग शुरू करने की बात कही. एक समय के लिए तो कोच भी हैरान रह गए और उन्हें पिंटू की बात पर विश्वास नहीं हुआ. लेकिन, पिंटू गहलोत ने दृढ़ संकल्प कर रखा था, अब मात्र 7 महीने की ट्रेनिंग के बाद पिंटू गहलोत को ब्लैक बेल्ट मिल चुकी है.
कोच कहते हैं एनर्जी बूस्टर
दिव्यांग ताइक्वांडो खिलाड़ी पिंटू गहलोत का चयन आगामी 11 मार्च से 15 मार्च 2022 को ईरान की राजधानी तेहरान में होने वाले अंतरराष्ट्रीय पैरा-4 डब्ल्यू टी प्रेसिडेंट कप एशिया रीजन 2022 के लिए 5 सदस्यीय भारतीय दल में हुआ है. पिंटू गहलोत को कोच परमिंदर सिंह एनर्जी बूस्टर कहते हैं. कोच कहते हैं कि, कुछ भी बता दो वो उसे कभी नहीं भूलता है. एक लगन के साथ पिंटू अपने मिशन की ओर आगे बढ़ रहे हैं, उम्मीद कर रहे हैं कि भारत को मेडल जरूर मिलेगा.
हादसे में खो दिए दोनों हाथ
राजस्थान के जोधपुर के चौका गांव निवासी पिंटू गहलोत ने वर्ष 1998 में हुई एक दुर्घटना में अपना हाथ खो दिया था. इसके बाद उन्होंने अपने बाएं हाथ के साथ सफलता की कहानी लिखने की शुरुआत की. पिंटू गहलोत ने दृढ़ निश्चय के साथ तैयाकी में 13 खिताब हासिल किए और अथक प्रयासों के बाद अपनी पहचान बनाई. 7 साल की कड़ी मेहनत के बाद पिंटू गहलोत ने जोधपुर में आयोजित राज्य सेवा चैंपियनशिप जीती. पिंटू गहलोत ने 100 मीटर बैकस्ट्रोक में स्वर्ण पदक और 50 मीटर फ्रीस्टाइल टूर्नामेंट में रजत पदक जीता और उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. हालांकि, पिंटू के जीवन में 2019 में एक और दुखद घटना घटी. जबलपुर में हुए एक हादसे में पिंटू का दूसरा हाथ बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया, जिसके बाद उसे काटना पड़ा.
लोगों ने दिए ताने
पिंटू गहलोत ने बताया कि जब हादसा हुआ था लोग माता-पिता को ताने देते थे. रिश्तेदार कहते थे कि अब पिंटू किसी काम का नहीं रहा. ये तो अब कुछ कर भी नहीं सकता लेकिन उनकी बातों का बुरा नहीं माना, इसे एक चैलेंज के रूप में लिया जिसका नतीजा सबके सामने है.
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