भले की देश आधुनिक युग की तरफ बढ़ रहा है लेकिन कुरीतियों से पीछा नहीं छूट पा रहा है. सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए भले ही कई योजनाएं चला रखी हैं लेकिन लोग अब भी जागरूक नहीं हो रहे हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह हैं कि आज के युग में भी राजस्थान (Rajasthan) में हर चौथी महिला का 18 साल से कम उम्र में विवाह (Child Marriage) हो जाता है.
राजस्थान किस नंबर पर
बड़ी बात यह है कि राजस्थान इस मामले में देश में सांतवे नम्बर पर आता है और पहले नंबर पर पश्चिम बंगाल है जहां कि स्थिति और ज्यादा खराब है. चौंकाने वाले ये तथ्य नेशनल फैमेली हेल्थ सर्वे (National Family Health Survey) में सामने आए हैं. यह सर्वे बच्चों और महिलाओं में शिक्षा सहित कई बातों पर किया गया है. यह रिपोर्ट 2019-21 के मध्य की है.
क्या है राजस्थान की स्थिति
रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में 2019-21 के मध्य 25.4% महिलाओं का बाल विवाह हुआ यानी विवाह के समय उनकी उम्र 18 साल से कम थी. शहर की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति ज्यादा खराब है. शहरी क्षेत्रों में यह 15.1% और ग्रामीण क्षेत्रों में 28.3% तक रहा. रिपोर्ट में संभाग के चित्तौड़गढ़ में सबसे ज्यादा (42.6%) महिला बाल विवाह दर्ज किए गए. भीलवाड़ा (41.8%) के साथ दूसरे और झालावाड़ (37.8%) के साथ तीसरे नंबर पर रहा. उदयपुर (18.2%), पाली (11.8%), कोटा (13.2%), गंगानगर (13.6%) में स्थिति बेहतर है.
ठीक स्थिति क्या है
इससे पहले साल 2015-16 की रिपोर्ट में प्रदेश में महिला बाल विवाह के कुल मामले 35.4% थे जो अब 25.4% हैं. यानी 5 साल में बाल विवाह के मामले 10% तक कम हुए हैं. बाल आयोग द्वारा लगातार चलाए जा रहे जागरूकता अभियान को इसके पीछे की वजह बताया जा रहा है.
देश में टॉप 10 राज्य
रिपोर्ट के अनुसार बाल विवाह में सबसे ज्यादा खराब स्थिति पश्चिम बंगाल की है. यहां बाल विवाह की दर 41.6% है. इसके अलावा बिहार 40.8%, त्रिपुरा 40.1%, झारखंड 32.2%, असम 31.8%, आंध्रप्रदेश 29.3%, राजस्थान 25.4, तेलंगाना 23.5%, अरुणाचल प्रदेश 18.9% है.