Rajasthan Dole Fair: राजस्थान (Rajasthan) भर में जलझूलनी एकादशी पर्व मंगलवार को धूमधाम से मनाया जाएगा. इस अवसर पर डोल यात्रा का आयोजन किया जाएगा. प्रदेश के बारां (Baran) जिले में डोल यात्रा के साथ डोल मेले का भी आयोजन किया जाता है. यहां हाड़ौती के प्रख्यात डोल मेले (Dol Mela) की तैयारियां व्यापक स्तर पर की जा रही है. नगर परिषद से मेले में लगने वाली सभी दुकानों की नपाई कर आवंटन किया जा चुका है. दूसरी ओर जलझूलनी एकादशी पर निकलने वाली देवविमानों की शोभायात्रा को लेकर पुलिस प्रशासन ने पुख्ता व्यवस्था कर ली है. यात्रा को लेकर करीब 700 पुलिसकर्मी और अधिकारी लगाए गए हैं.


पुलिस शोभायात्रा मार्ग की ड्रोन से निगरानी करेगी. कई स्थानों पर अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. नगरपरिषद के सहयोग से करीब दो दर्जन से अधिक जर्जर मकानों को चिन्हित करके उन पर बैठकर शोभायात्रा देखने पर रोक रहेगी. कई मार्गों पर बेरिकेट्स लगाए जाएंगें ताकि परेशानी नहीं हो. जलझूलनी एकादशी पर आयोजित होने वाले डोल मेले में दुकानदारों ने दुकानें लगाना शुरु कर दिया. वहीं चकरी झुले भी लग चुके हैं. मेला परिसर में बिजली साज सज्जा और रंगमंच के कार्य को अन्तिम रूप दिया जा चुका है. इस बार जलवा पूजन के लिए देव विमानों को रखने के लिए काफी बड़ा परिसर तैयार किया जा चुका है. शोभायात्रा को लेकर पुलिस और प्रशासन के साथ बैठक भी हुई.


पुलिस-प्रशासन ने की व्यापक तैयारियां


बारां एसपी कल्याणमल मीना ने बताया कि जलझूलनी एकादशी पर निकलने वाली देव विमानों की शोभायात्रा के लिए करीब 700 से अधिक पुलिसकर्मी और अधिकारियों को तैनात किया जाएगा. इसमें 2 एडिशनल एसपी, 6 डीएसपी, 10 सीआई, 11 एसआई और 50 एएसआई के अतिरिक्त 650 पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे. पुलिस शोभायात्रा मार्ग की ड्रोन से निगरानी करेगी. कई स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. नगरपरिषद के सहयोग से करीब दो दर्जन से अधिक जर्जर मकानों को चिन्हित करके उन पर बैठकर शोभायात्रा देखने पर रोक रहेगी. कई मार्गों पर बेरिकेट्स लगाए गए है ताकि परेशानी नहीं हो.


देव विमान, अखाड़े बनेंगे आकर्षण


शोभायात्रा में बैंडबाजों के साथ 57 देव विमान शामिल होंगे. अधिकृत रूप से 9 अखाड़े शामिल होंगे. कोरोना काल के दो वर्ष के बाद निकलने वाली डोल शोभायात्रा में इस बार अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है. इस वजह से प्रशासन ने व्यवस्थाओं को दोगुना करने का निर्णय लिया है. शोभायात्रा को छतों से देखने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई. 


शोभायात्रा की कई मान्यताएं है विद्यमान 


डोल शोभा यात्रा को लेकर कई मान्यताएं विद्यमान है. कहते हैं इस दिन भगवान श्री विग्रह अपने विमान यानि डोल में बैठकर विचरने निकलते हैं. दूसरी यह कि इस दिन श्रीकृष्ण की माता गाजे-बाजों के साथ कृष्ण जन्म के 18वें दिन सूर्य और जलवा पूजन के लिए घर से निकलती है. कुछ का मानना है कि विभिन्न मन्दिरों में विराजे भगवान प्रकृति की हरियाली का वैभव और सौन्दर्य निहारने निकलते हैं.


दर्शनार्थियों की भीड़ का सैलाब 


डोल शोभा यात्रा के दौरान बारां शहर के बाजारों और मकानों, दुकानों की छतों पर काफी तादाद में जन समूह शोभा यात्रा के दर्शनार्थ एकत्र हो जाते हैं. बाजारों में तो तिलभर भी जगह नहीं होती. बुजुर्गवार बताते हैं कि श्रीजी और रघुनाथ जी के विमान गले मिलने के बाद जब रघुनाथ मन्दिर का विमान आगे हो जाता है तो स्वतः रास्ता भी हो जाता है. इसे लोग भगवान की कृपा मानते हैं फिर अन्य मन्दिरों के विमान कतारबद्ध पीछे चलते हैं. शोभा यात्रा में उंच-नीच की निरर्थक भावना किसी के मन में परिलक्षित नहीं होती. विभिन्न जातियों के साथ वाल्मिकी (हरिजन) समाज का अखड़ा विमान भी होता है. 


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