Rajasthan News: देश सहित राजस्थान में मानसून दस्तक दे चुका है. मानसून की बारिश के साथ ही जिले में खरीफ सीजन की फसलों बुवाई कुछ देरी से शुरू हुई है. जिसमें प्रमुख कपास की फसल की बुवाई आमतौर पर 15 मई से शुरू हो जाती है ,जो जून के तीसरे सप्ताह में पूरी हो जाती है. लेकिन इस बार जून के तीसरे सप्ताह में ही बुवाई शुरू हो पाई है, जो जुलाई के पहले सप्ताह तक जारी रहेगी.
किसान मानसून की बरसात से पूर्व कपास की बुवाई पूरी करना चाहते हैं. जिससे कपास का सही से अंकुरण हो जाए, इस बार कपास की बुवाई में देरी के कारण मूंगफली की बुवाई भी जुलाई के पहले सप्ताह तक आगे खींच चूंकि है, मूंगफली की बुवाई जून के अंतिम सप्ताह में पूरी हो जाती है.
जिले में गत वर्ष कपास की बुवाई का रकबा 80 हजार हेक्टर से अधिक हो गया था. लेकिन कपास रोग किट के प्रकोप के कारण पैदावार बहुत कम रही. किसानों को कपास चुनने में ₹20 किलो तक की मजदूरी की भी लागत चुकानी पड़ी थी. वहीं 2022 मुकाबला बाजार भाव की 30% से 40% तक काम हो गए थे. इस बार तेज गर्मी बड़े हुए तापमान से कपास की बुवाई को ही आगे बढ़कर असर डालना शुरू कर दिया है. जिससे किसान सहमे हुए हैं.
कपास की फसल को लेकर किसानों के सामने इस सीजन बुवाई के दौरान ही संकट आने लगे हैं. इस बार मई महीने में तेज गर्मी असामान्य तापमान का असर जून महीने तक रहा है. ऐसे में बुवाई में देरी हुई. हाइब्रिड बीज से लेकर कपास हुई की चुने तक बड़ी हुई.
लागत किसानों को परेशान कर रही है ₹1700 तक प्रति बीघा की लागत आती है वही प्रतिबिगहा ₹20 तक चुने का खर्च आता है. कपास में रोग का प्रकोप भी पिछले वर्षों में बहुत ज्यादा बढ़ गया है.जिसे नियंत्रित में प्रति बीघा 5 से 7000 रुपए खर्च आ जाता है. इसके अतिरिक्त बुवाई से लेकर खाद सिंचाई मजदूरी की लागत को निकालने के लिए कपास की पैदावार को प्रति बीघा 4 क्विंटल बरकरार रखना वह बढ़ाने की किसानों के सामने बड़ी चुनौती है.
खरीफ 2024 में बुवाई लक्ष्य -
फसल बुवाई लक्ष्य
कपास 80000
मुंगफली 160000
मूंग 280000
बाजरा 450000
ग्वार 150000
मोठ 70000
ज्वार 40000
तिल 20000
अरंडी 30000
अन्य 40000
कुल 1300000
(बुआई लक्ष्य हैक्टेयर में, स्रोत- भारतीय किसान संघ)
भारतीय किसान संघ प्रदेश मंत्री तुलछाराम सीवर ने बताया कि किसानों को कपास में लगने वाले रोग किट को लेकर समन्वित प्रयास करके कम लागत में नियंत्रण के उपाय करने होंगे. किसान अनुभवी किसानों व विशेषज्ञों से सलाह कर पूर्व में ही रोग किट से बचने के उपाय करें.
किसान फेरोमेन ट्रैप व पिला चिपचिपा स्टिक का बुवाई रकबे अनुसार उपयोग करें जिसमें गुलाबी सुंडी व इल्लियों की रोकथाम के लिए फेरोमेन ट्रैप व माहू (एफीड्स), थ्रिप्स, फुदका तथा सफेद मक्खी, मिलीबग से बचाव हेतु येलो स्टिक ट्रैप का उपयोग सहायक रहेगा.
फसल की पछेती बुवाई के कारण लाल बग, सफेद मक्खी, माहू, फुदका, धब्बेदार सुंडी का प्रकोप रह सकता है. फसल लागत को कम करने के लिए सरकार रोग किट नियंत्रण में किसानों को यांत्रिक विधियां अपनाने पर अनुदान जारी करें व गुणवत्तापूर्ण सस्ता बीज उपलब्ध करवाने सहित मानरेगा के तहत किसानों को कपास के बुवाई रकबे अनुसार मस्टरोल जारी कर रुई चुगाई में सहयोग करवाएं.
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