Rajasthan News: राजस्थान के नागौर जिले में पैदावार होने वाली नागौरी पान मेथी या कसूरी मेथी के बिना सब्जियों का स्वाद अधूरा रहता है. चाहे घर की रसोई में बना खाना हो या पांच सितारा होटल की स्पेशल रेसिपी हो या किसी भी इंटरनेशनल फूड चेन का फूड हो इस नागौरी पान मेथी के बिना खाने का स्वाद अधूरा है. नागौरी पान मेथी की खुशबू ही ऐसी है, जो हर सब्जी का जायका बदल देती है. यही वजह है कि नागौर में उगाई जाने वाली पान मेथी की हरी सूखी पत्तियां देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी महक बिखेर रही है.
ऐसे में अब नागौरी पान मेथी (कसूरी मेथी) को जीआई टैग देने की मांग बढ़ने लगी है. जीआई टैग का मतलब ज्योग्राफिकल इंडिकेशन से है, जिसे भौगोलिक पहचान के नाम से जाना जाता है. इसमें फसल का उत्पादन, उसकी गुणवत्ता प्रतिष्ठा और अन्य विशेषताएं शामिल हैं. जीआई टैग मिलने से इसकी उपयोगिता और मांग दोनों में बढ़ोतरी होगी जिससे किसानों को आर्थिक सहायता मिलेगी.
इस साल कितनी हुई पान मेथी की खेती
नागौर कृषि विभाग के अनुसार जिले में इस बार करीब 7000 हेक्टेयर में पान मेथी की बुवाई हुई है. इसमें कुचामन सिटी डिविजन में 1709 हेक्टेयर में और मेड़ता सिटी डिविजन में 5200 हेक्टेयर में मेथी की बुवाई हुई है. कुचामन सिटी क्षेत्र में देसी मेथी की बुवाई होती है, जबकि मेड़ता क्षेत्र में ज्यादातर पान मेथी की बुवाई होती है. ऐसे में यदि देखा जाए तो इस साल 5000 हेक्टेयर ज्यादा क्षेत्रफल में पान मेथी की बुवाई की गई है, जो पिछले साल की तुलना में अधिक है. मेथी की बुवाई के समय व्यापारियों ने मेथी का भाव काफी बढ़ाया हुआ था, जिसको देखते हुए किसानों ने बड़े स्तर पर बुवाई कर दी, लेकिन अब भाव में गिरावट आ गई है. ऐसे में अब किसान थोड़ा मायूस भी नजर आ रहे हैं.
50 साल से हो रही पान मेथी की खेती
नागौर जिले के किसानों ने बताया कि लगभग 50 साल पहले 1970 के आस-पास नागौर के निकटवर्ती ताऊसर गांव से नागौरी पान मेथी की खेती शुरू की गई थी. इसके बाद धीरे-धीरे मेथी का उपयोग मसाले में होने लगा था, तो उस समय एमडीएच मसाले के मालिक नागौर आए थे. तब उन्होंने किसानों को मेथी की खेती करने के लिए प्रोत्साहित भी किया था. साथ ही मेथी को अच्छे भाव पर खरीदना भी शुरू कर दिया. इसके बाद धीरे-धीरे मेथी की खेती कुचेरा, खुडखुडा, खजवाणा, जणणा, रुण, इंदु, काली, झंडारिया कला, देशवाल सहित अन्य गांव में की जाने लगी.
नागौरी पान मेथी की कीमत किसानों को कम मिलती है. किसानों का मानना है कि गीली हरी मेथी 60 रुपए से डेढ़ सौ रुपए किलो के हिसाब से बाजार में बिकती है. वहीं देश दुनिया के बाजार में पान हरी मेथी को सुखाकर बड़ी-बड़ी कंपनियां एक हजार रुपये से 1700 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचकर भारी मुनाफा कमा रही हैं. मेथी की मंडी नहीं होने से भी किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.