Rajasthan News: देश में किसान और खेती-बाड़ी की बात होती है, तो हमारे सामने गांव के देहात में खेती करने वाले मिट्टी से भरा हुए किसान की सूरत नजर आने लगती है. यहां किसान खुले आसमान के नीचे बड़े-बड़े खेत में खेती करते हैं. वहीं आप शहर में रहते हैं, तो आपके पास खेत खलियान तो दूर बागवानी के लिए भी जमीन नहीं होती है. ऐसे में युवाओं के स्टार्टअप के लिए जोधपुर काजरी के निर्देशक ओपी यादव के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने एक खास तकनीक निकाली है, जिससे आप अपने मकान की छत पर भी खेती कर सकते हैं.


इस तकनीक से मकान के छत यहा बालकनी य़ा फिर किसी और छोटी जगह पर फल सब्जियां और फूलों की खेती कर अच्छी कमाई की जा सकती है. दरअसल इस तकनीक का नाम हाइड्रोपोनिक स्वेलिंग कल्टीवेशन सिस्टम है. इसकी सहायता से मिट्टी रहित साफ सुथरी खेती की जा सकती है. जोधपुर के काजरी में सब्जियां उगाने का आधुनिक तरीका तैयार किया गया है. यह तरीका मिट्टी रहित है और घर में छत पर, बालकनी में छोटी जगह पर आसानी से सब्जियों की खेती की जा सकती है.


मिट्टी रहित होती है खेती
काजरी जोधपुर के वैज्ञानिक डॉक्टर प्रदीप कुमार ने बताया कि हमने हाइड्रोपोनिक स्वेलिंग कल्टीवेशन सिस्टम तैयार किया है. इस तकनीकी से खेती करने पर मिट्टी की जरूरत नहीं रहती है. इस तकनीकी से मिट्टी रहित खेती की जाती है, जिसके चलते सब्जियां साफ सुथरी होती हैं. खासतौर से इंग्लिश वेजिटेबल पर शोध किया गया है, जिसमें लेटीयूज को सलाद में यूज किया जाता है. इस वेजिटेबल की मांग फाइव स्टार होटल, रेस्टोरेंट, पिज्जा और बर्गर में उपयोग में ली जाती है.


वहीं सलरेड, रोजमेरी और अन्य सब्जियों पर काजरी के वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं कि सब्जियों को कितना पोषक तत्व मिलना चाहिए. यहा फिर अपना खुद का पोषक तत्व कितना बनाना है. यह काम जो युवा करना चाहते हैं, हम उनको काजरी में ट्रेनिंग देते हैं. उन्हें हम यह बताते हैं कि कौन सी अवस्था में कितना पोषक तत्व उनको देना है. काजरी जोधपुर के वैज्ञानिक डॉक्टर प्रदीप कुमार के अनुसार इस हाइड्रोपोनिक स्वेलिंग कल्टीवेशन सिस्टम के जरिए कई तरह की अलग-अलग सब्जियां उगाई जा सकती हैं.


ऐसे मिलते हैं फसलों को पोषक तत्व 
यह हाइड्रोपोनिक मॉडल हल्का होता है. इसमें पीवीसी के पाइप होते हैं. अलग-अलग चैनल से न्यूट्रिशियन का सॉल्यूशन इसमें पानी के साथ चलता रहता है. पानी के जरिए पौधों को सारे पोषक तत्व मिल जाते हैं. शुरुआत में पानी में पोषक तत्वों का घोल डाल दिया जाता है, जो पानी के जरिए पौधे की जड़ को मिलता रहता है. आपको सिर्फ पोषक तत्व गोल को पानी में मिलाना है. इस तरह की खेती होरिजेंटल और वर्टिकल दोनों ही तरीके से की जा सकती है.वर्टिकल टावर के जरिए भी कम जगह में खेती की जाती है. इनमें पोषक तत्व का घोल ऊपर से नीचे टैंक में जाता है. इस तरह के टावर में उत्पादन भी अच्छा होगा. 


उदाहरण के तौर पर 27-28 दिन में लेटीयूज की फसल तैयार हो जाती है. 30 दिन में बाजार में बेचा जा सकता है. इसमें कई तरह की अलग-अलग वैरायटी भी उपलब्ध है. हमारे शोध में सामने आया है कि इस तकनीकी से प्रोडक्शन बहुत फास्ट होता है. कम जगह में ज्यादा प्रोडक्शन होता है. एक साल में 8 से 10 फसल हो सकती है, जो युवा स्टार्टअप के जरिए खेती करना चाह रहे हैं उनके लिए यह तकनीक बहुत ही बेहतरीन है. वह घर की छत पर या कोई छोटी जगह या फिर किसी बड़ी जगह पॉलीहाउस लगाकर ग्रीन हाउस के जरिए खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.


किसान कमा सकते हैं अच्छा मुनाफा 
प्रदीप कुमार ने बताया कि लेटीयूज सलाद पत्ता इसके प्रति किलो 100 से 125 रुपये का खर्च आता है, जबकि इसकी बाजार में कीमत 350 से 600 रुपये किलो तक है. सीजन के हिसाब से इसकी कीमत भी बढ़ती है. जैसे शादी का सीजन हो या टूरिस्ट का ज्यादा आगमन हो या फिर होटल में ज्यादा भीड़ रहती है. इस दौरान इसकी कीमत भी बढ़ जाती है. इसमें प्रति किलो पर 300 से 350 रुपये तक का मुनाफा कमाया जा सकता है.