Banswara: राजस्थान (Rajasthan) से उदयपुर (Udaipur) संभाग के बांसवाड़ा जिले (Banswara District) में फूड पॉइजनिंग (Food Poisoning) से 10 वर्षीय एक बच्चे की मौत हो गई है. वहीं कई दूसरे बच्चों के साथ, महिलाओं को भी फूड पॉइजनिंगग से पीड़ित होने के कारण हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है. हालांकि यह साफ नहीं हो पाया है कि, यह कैसे हुआ है. इस घटना के बाद मेडिकल की टीमें फूड पॉइजनिंग मामले की जांच करने में जुटी हुई हैं.


फूड पॉइजनिंग की यह घटना बांसवाड़ा के कुशलगढ़ के निश्नावट गांव में हुई है. जहां 10 साल के बच्चे की मौत हो गई, वहीं 4 बच्चे और 2 महिलाओं की फूड पॉइजनिंग से हालत गंभीर हो गई थी. जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया, इन मरीजों की हालत अब सामान्य बताई जा रही है. इस घटन में पीड़ित सभी लोग एक ही परिवार से हैं. 


प्रथम दृष्टया इस मामले को फूड पॉइजनिंग से जोड़ कर देखा जा रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ गांव के हैंडपंप के दूषित पानी को ऐसी स्थिति के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है. कहा जा रहा है, ऐसी स्थिति में जब गावं में कोई दावत या सामूहिक भोज नहीं था, साथ इस गावं की आबादी बिखरी हुई है. वही गावं में एक ही हैंडपंप है, जिसका सभी लोग इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में आशंका पानी के दूषित होने की भी बढ़ गई है.


 


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घटना के संबंध में ग्रामीणों ने बताई यह बात
इस संबंध में ग्रामीणों ने बताया कि, 10 साल के राहुल पुत्र मंगू देवदा की मौत हो गई. दो महिलाओं को छोटा डूंगरा सीएचसी में भर्ती कराया है, जबकि निश्नावट निवासी 7 वर्षीय के आयुष पुत्र सोहनलाल देवदा, 5 वर्षीय के रोहित पुत्र मंगू देवदा, 8 वर्षीय के विजेश पुत्र भारतु देवदा, 7 वर्षीय पंकज पुत्र रमेश देवदा को गंभीर हालत में यहां कुशलगढ़ सीएचसी में भर्ती कराया है. 


डॉक्टरों का यह है कहना
कार्यवाहक बीसीएमओ डॉक्टर गिरीश भाभोर ने घटना में हुई 10 वर्षीय बच्चे की मौत का कारण डायरिया वॉमिटिंग बताया है. दो महिलाएं छोटा डूंगरा सीएचसी में भर्ती हैं और एक बच्चे को रविवार को अस्पताल में लाया गया. चिकित्सा विभाग की टीम मौके पर पहुंची. डॉ. गिरीश भाभोर ने बताया कि, "टीम मौके पर गई तो कोई भी भोजन का सैंपल नहीं मिला. 


डॉ. गिरीश भाभोर ने आगे बताया कि, "वहां लोगों से बात करने पर पता चला कि, होली के दिन पुड़िया बनाई थी. बच्चों ने मोहल्लों में घूम-घूम कर पुड़िया इकट्ठी की. जिसके बाद वही पुड़ियां सब में बांटी. इसी के खाने से लोगों के बीमार होने के आसार है. लेकिन टीम को पुड़ियों का एक भी सैंपल नहीं मिला. उन्होंने बताया कि, "हमारे पहुंचने से पहले ही लोग पुड़ियों को और अन्य भोजन को फेंक चुके थे."


दूषित पानी की जल्द हो सकेगी जांच
एईएन निखिल ने बताया कि, हैंडपंप के पानी की जांच हर सप्ताह करनी होती है, लेकिन जिले में हजारों हैंडपंपों की जांच सालों से नहीं की की गई है. यह सैंपलिंग क्षेत्र से संबंधित कनिष्ठ और सहायक अभियंता द्वारा की जाती है. अब आगामी समय में पानी की जांच के लिए किट तैयार की गई है. जिससे क्षेत्र की एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आदि मौके पर ही किट की मदद से पानी की दूषित होने की मात्रा का पता लगा सकेंगी. जिसका प्रशिक्षण आगामी तीन दिनों में शुरू होने वाला है.


 


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