Rajasthahn News: राजस्थान सरकार ने दो विशेषधिकारियों (OSD) को सोमवार (26 दिसंबर) को हटा दिया. जिन अधिकारियों को हटाया गया उनमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी रहे देवाराम सैनी भी शामिल हैं. इन अधिकारियों को अभी किसी और पद पर नहीं लगाया गया है. इस संबंध राज्य के कार्मिक विभाग ने सोमवार (26 दिसंबर) को यह आदेश जारी किया.


प्रदेश सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, राजस्थान के मुख्यमंत्री के ओएसडी डॉ. देवाराम सैनी और महिपाल कुमार को अगले आदेश तक पदस्थापन की प्रतीक्षा (एपीओ) रखा जाता है. ये दोनों राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं. डॉक्टर देवाराम सैनी लंबे समय से अशोक गहलोत के साथ रहे हैं.


इन्हें नियुक्त का किया गया है सीएम का ओएसडी
राज्य के नये मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का ओएसडी राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) के अधिकारी योगेश कुमार श्रीवास्तव को नियुक्त किया गया है. सत्ता परिवर्तन के बाद गहलोत सरकार के कार्यकाल में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव एवं सचिव को पहले ही हटाकर पदस्थापन की प्रतीक्षा (एपीओ) में रखा गया है.


अशोक गहलोत का प्रदेश सरकार पर तंज
इससे पहले राजस्थान की भजनलाल सरकार ने कांग्रेस सरकार में शुरू की गई राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप कार्यक्रम को बंद करने का फैसला किया. ये कार्यक्रम नए साल से पहले पूरी तरह बंद हो जाएगी. इस योजना के बंद होने पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि बीजेपी को अगर इस योजना के नाम से दिक्कत थी तो वह नाम बदल देती, लेकिन उसे इस इंटर्नशिप कार्यक्रम को बंद नहीं करना चाहिए था. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर पोस्ट अपने संदेश में अशोक गहलोत ने कहा कि "राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप कार्यक्रम में सरकार की योजनाओं को घर-घर तक पहुंचाने के लिए कार्य कर रहे करीब पांच हजार युवाओं की सेवाएं समाप्त करना उचित नहीं है. यह सभी युवा सरकार की योजनाओं से पूरी तरह जागरुक हैं और सरकार की काफी मदद कर रहे हैं."


'प्रदेश सरकार को सकारात्मक....'
इस दौरान पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने प्रदेश की बीजेपी सरकार के फैसले पर तीखी प्रतिक्रियाव व्यक्त करते हुए कहा कि "इस योजना को लेकर नई सरकार को कोई दिक्कत थी तो उन्हें राजीव गांधी सेवा केन्द्रों की जगह पर अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर कर सकते थे." उन्होंने आगे कहा कि "प्रदेश की जनता को पता है कि बीजेपी सरकार के पिछले कार्यकाल में अस्थायी कर्मचारी के रुप में लगाए गए पंचायत सहायकों के हमारी सरकार ने स्थायी कर दिया और उनके वेतन में भी इजाफा कर दिया था. ऐसी ही सकारात्मक सोच से नई सरकार को इस कार्यक्रम को जारी रखना चाहिए था."


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