(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Rajasthan: गर्भवती होने पर किशोरी ने बुआ के बेटे पर लगा दिया रेप का आरोप, DNA रिपोर्ट में खुली सिस्टम की पोल
Udaipur News: डीएनए रिपोर्ट देरी से आने के कारण रेप (Rape) के मामले में एक बेगुनाह को 15 माह जेल (Jail) में रहना पड़ा. बेगुनाह पर रेप का आरोप उसकी मामा की लड़की ने लगाया था.
Rajasthan Fake Rape Case: रेप (Rape) को मामले में डीएनए रिपोर्ट (DNA Report) बेहद महत्वपूर्ण होती है. भले ही पीड़िता अपने बयानों से पलट जाए लेकिन ऐसे कई मामलों में कोर्ट ने आरोपी को सजा दी है. लेकिन, उदयपुर (Udaipur) की कोर्ट में सोमवार शाम को एक ऐसा फैसला हुआ जिसने सिस्टम की पोल खोलकर रख दी. डीएनए रिपोर्ट देरी से आने के कारण रेप के मामले में एक बेगुनाह को 15 माह जेल (Jail) में रहना पड़ा. बड़ी बात तो ये थी कि बेगुनाह पर रेप का आरोप किसी और ने नहीं, उसकी चचेरी बहन यानी मामा की लड़की ने लगाया था. वकीलों का कहना है कि आरोपी ने यहां तक कहा था कि डीएनए मैच करवा लो सब कुछ साफ हो जाएगा, लेकिन जब तक रिपोर्ट आती तब तक उसे जेल में ही रहना पड़ा.
निर्दोष को 15 महीने जेल में रहना पड़ा
उदयपुर में सिस्टम की लेटलतीफी के कारण एक निर्दोष को 15 महीने जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ा. युवक को रेप का आरोपी कहा गया लेकिन इस बीच वो कहता रहा कि डीएनए रिपोर्ट जल्द से जल्द मंगवा लो, लेकिन डीएनए रिपोर्ट 15 महीने बाद आई. अब सिस्टम पर सवाल उठ रहे हैं कि डीएनए रिपोर्ट में इतनी देरी कैसे हो गई.
क्या कहा कोर्ट ने
उदयपुर में पोक्सो केस की विशेष अदालत के पीठासीन अधिकारी न्यायाधीश भूपेन्द्र कुमार सनाढ्य ने किशोरी के बच्चे की डीएनए रिपोर्ट और कपड़ों से लिए गए सैंपल की एफएसएल रिपोर्ट के आधार पर आरोपी युवक को बाइज्जत बरी किया है. कोर्ट ने कहा कि किशोरी ने युवक (बुआ के बेटा) पर झूठा आरोप लगा कर वास्तविक अपराधी को बचाने का प्रयास किया है. किशोरी के झूठे आरोप के चलते निर्दोष होते हुए भी युवक को 15 महीने जेल में रहना पड़ा. युवक को पीड़ित प्रतिकर स्किम के तहत लाभ दिया जाए. मामले में युवक की तरफ से वकील दिलीप नागदा ने कोर्ट में पैरवी की.
ये था मामला
19 सितंबर 2020 को किशोरी के पिता ने शहर के पास नाई थाने में रिपोर्ट दी थी. जिसमें किशोरी के पिता ने आरोप लगाया था कि उसका 30 वर्षीय भांजा उसकी 15 वर्षीय बेटी के साथ पिछले 6 महीनों से रेप कर रहा था, इससे बेटी गर्भवती हो गई. गर्भ जब 7 महीने का हो गया तो पेट दिखने से परिवार को पता चला कि वो गर्भवती है. किशोरी से पूछा गया तो उसने घर में साथ रहने वाले बुआ के बेटे पर रेप का आरोप लगाया और कहा कि कई बार रेप होने से वो गर्भवती हो गई. पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले में किशोरी सहित परिवार के सदस्यों के बयान लिए. आरोपी युवक और किशोरी के कपड़ों को एफएसएल रिपोर्ट के लिए भेजा और किशोरी ने जब एक शिशु का जन्म दिया, तो बच्चे का डीएनए टेस्ट के सैंपल भी एफएसएल कार्यालय भेजे गए.
रिपोर्ट आने में लग गए 15 महीने
पुलिस ने बयानों के आधार पर युवक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आने में 15 महीने लग गए. 15 महीने बाद आई डीएनए रिपोर्ट से पता चला कि गिरफ्तार हुआ युवक किशोरी के बच्चे का पिता नहीं है, साथ ही एफएसएल रिपोर्ट में युवक द्वारा किशोरी के साथ रेप करने की पुष्टि नहीं हुई. इन रिपोर्ट के आने के बाद कोर्ट ने युवक को बाइज्जत बरी कर दिया है.
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