Rajasthan Politics: राजस्थान में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ कांग्रेस ब्राह्मणों को लुभाने में लगी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विप्र समाज को साथ रखने के लिए सियासी दांव लगाया है. समाज को आकर्षित करने का जिम्मा राजस्थान राज्य विप्र कल्याण बोर्ड को सौंपा है. विधानसभा चुनाव से पहले गहलोत सरकार ने ब्राह्मण समाज की सुध लेना शुरू किया है. सरकार सामाजिक बुराइयों की पहचान और धार्मिक गतिविधियों से जुड़े परिवारों की समस्याओं का अध्ययन कर रही है.


1 अगस्त को राजस्थान राज्य विप्र कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष महेश शर्मा ने एक आदेश जारी किया है. आदेश में विप्र समाज की मौजूद कुरीतियों की पहचान और धार्मिक गतिविधियों से जुड़े लोगों और परिवारों को अध्ययन करने के लिए सुझाव मांगे हैं. सामाजिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक उत्थान के लिए सुझाव आमंत्रित किए हैं. आगामी 10 सितंबर तक सुझाव विप्र कल्याण बोर्ड को डाक या ई-मेल के जरिए भेज सकते हैं. इसके लिए विप्र कल्याण बोर्ड समाचार पत्रों में विज्ञापन विज्ञप्ति भी जारी की है.


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गहलोत सरकार ने पहले दी ये सौगात
सीएम अशोक गहलोत इस बार ब्राह्मण समाज पर विशेष मेहरबान हैं. राजस्थान सरकार ने आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू कर सामान्य श्रेणी की जातियों को भी आरक्षण का लाभ पहुंचाया है. इसके तहत सवर्ण जातियों को 10 फीसदी आरक्षण का लाभ मिला है. खास बात है कि राज्य सरकार ने सिर्फ पारिवारिक आय के आधार पर ही पात्रता तय की है. सरकार के फैसले से ब्राह्मण समाज को बड़ा लाभ मिला है.


BJP के वोट बैंक में सेंध लगाने का प्रयास
कांग्रेस को गरीबों और अल्पसंख्यकों की पार्टी माना जाता है. इसी को ध्यान में रखकर अब कांग्रेस सवर्ण जाति में भरोसा कायम करने की कोशिश कर रही है. बीजेपी ने गांधी और पटेल को कांग्रेस से छीनकर अपनाया है उसी तरह अब कांग्रेस भी बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाने को बेताब है. 


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