Rajasthan Bureaucracy News: भारतीय प्रशासनिक सेवा यानि आईएएस को आजादी से पहले से ही सरकारी सेवा में विशेष दर्जा हासिल रहा है, लेकिन कुछ आईएएस अधिकारी ऐसे हैं, जो इस सुविधा का बेजा लाभ उठा रहे हैं. ऐसे आईएएस अधिकारियों में से एक हैं राजस्थान कैडर की अधिकारी पूनम, जो गहलोत सरकार के लिए सिरदर्द साबित हो रही हैं. सिरदर्द इसलिए कि एक तरफ राजस्थान सरकार पहले से ही आईएएस अधिकारियों की कमी से जूझ रही है, दूसरी तरफ पूनम हैं कि वो बिहार से राजस्थान लौटने के लिए तैयार नहीं हैं.
राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी का ऐसा पहला मामला
दरअसल, राजस्थान कैडर की भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी पूनम छह साल पहले बिहार में डेपुटेशन पर गई थीं. राजस्थान सरकार द्वारा बार-बार अपने मूल कैडर में वापस लौटने की सूचना देने के बावजूद वो अभी तक बिहार में रहने की जिद पर अड़ी हुई हैं. पूनम अब तक वापस राजस्थान नहीं लौटी हैं. अखिल भारतीय सिविल सेवा नियमों के मुताबिक वह अधिकतम 5 वर्ष तक गृह राज्य में रह सकती हैं. यही वजह है कि वह आजकल भारतीय ब्यूरोक्रेसी के बीच चर्चा में हैं. राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में इस तरह का पहला मामला है कि किसी और राज्य में डेपुटेशन पर गया कोई आईएएस अफसर 5 साल बीत जाने के बावजूद नहीं लौटा हो.
पूनम बिहार और केंद्र के लिए भी मुसीबत
आईएएस पूनम केवल राजस्थान की ही नहीं, बल्कि केंद्र और बिहार सरकार के लिए मुसीबत बन चुकी हैं. 2005 बैच की राजस्थान कैडर की IAS अफसर पूनम 6 साल पहले बिहार में डेपुटेशन पर गई थीं. राजस्थान सरकार उनको लौटने के लिए बार-बार पत्र लिख रही है, लेकिन पूनम न जवाब दे रही हैं और न वापस लौट रही हैं. दरअसल, पूनम 2016 में डेपुटेशन पर बिहार चली गई थीं. उन्हें यह डेपुटेशन 3 वर्ष के लिए मिला था. इस हिसाब से वे अक्टूबर 2016 से सितंबर 2019 तक वहां रह सकती थीं. उसके बाद उन्होंने कोरोना का हवाला देकर 1 वर्ष के लिए अपना डेपुटेशन बढ़वा लिया. केंद्र, राजस्थान व बिहार की सरकारों ने उन्हें विशेष परिस्थितियां देखते हुए इसकी इजाजत दे दी. फिर उनका कार्यकाल अक्टूबर 2020 में पूरा हो गया, लेकिन वो अभी तक अपने मूल कैडर राजस्थान नहीं लौटीं.
न लौटने की वजह ये तो नहीं
आईएएस अफसर पूनम का मूल कैडर राजस्थान है. वह अभी अपने होम स्टेट बिहार में पदस्थ हैं. बताया जा रहा है कि वह निजी कारणों से वही पर काम करना चाहती हैं. पूनम राजस्थान में चार जिलों में कलेक्टर रही हैं. अब उन्होंने फिर से कोरोना का हवाला देकर 1 वर्ष का डेपुटेशन और मांगा, लेकिन नहीं मिला. तब उन्होंने कैट में शरण ली. उन्हें फिर 1 वर्ष का डेपुटेशन मिल गया, लेकिन यह डेपुटेशन भी अक्टूबर 2021 में खत्म हो गया. अब उसके ऊपर भी 1 वर्ष से ज्यादा का समय बीत गया. पूनम अब तक बिहार में ही हैं. वह अपने परिवार को भी पटना शिफ्ट कर चुकी हैं. पूनम राजस्थान में बीकानेर, सवाई माधोपुर, डूंगरपुर और बूंदी जिलों में कलेक्टर रही हैं.
गहलोत सरकार ने दिए एक्शन लेने के संकेत
राजस्थान कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने पूनम को पत्र लिखकर उनके अब तक कैडर में वापस न लौटने का कारण पूछा है, लेकिन उन्होंने इसका संतोषजनक जवाब नहीं अभी तक नहीं दिया है. थक हारकर विभाग उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का मन बना चुका है. केंद्र के कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग और बिहार राज्य सरकार को अपनी आपत्ति दर्ज करवाने वाला है. विभाग के मंत्री होने के नाते इस मामले की जानकारी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी भेज दी गई है. कार्मिक विभाग के प्रमुख शासन सचिव हेमंत गेरा ने इस संबंध में आगे कार्रवाई करने की तैयारी कर ली है.
कार्मिक विभाग तुरंत करे कार्रवाई
राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में सबसे ज्यादा वक्त बतौर आईएएस सेवा देने वाले पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव पीएन भंडारी का कहना है कि इस तरह के मामले में नियोक्ता भारत सरकार है. राज्य के कार्मिक विभाग को तुरंत ऐसे अफसर के खिलाफ चार्जशीट देने की सिफारिश के साथ केन्द्रीय कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग को तुरंत लिखना चाहिए. आईएएस की सेवा कोई सियासी पद या निजी धंधा नहीं है। कोई कहीं पर भी अपने हिसाब से नौकरी कर ले. कार्मिक विभाग को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए.
ये हैं सेवा नियम
भारत सरकार के स्पष्ट नियम हैं कि कोई भी आईएएस या आईपीएस अफसर अपने सर्विस कैडर से होम स्टेट जा सकता है, लेकिन ऐसा पूरी सर्विस के दौरान कुल मिलाकर अधिकतम 5 वर्ष के लिए हो सकता है. इससे ज्यादा का कोई मामला पूरे देश में सामने नहीं आया है.
डेपुटेशन पर तो ये भी गए, पर लौट आये
राजस्थान कैडर से हाल के वर्षों में फरवरी-2019 से फरवरी-2022 तक डॉ. रवि सुरपुर अपने होम स्टेट कर्नाटक में रह कर वापस आ गए हैं. उससे पहले वर्ष 2009 में तमिलनाडु कैडर से हरसहाय मीणा अपने होम स्टेट राजस्थान में तीन वर्ष रह कर वापस गए हैं. 2015 आईएएस परीक्षा के टॉपर रहे अतहर आमिर खान भी फरवरी-2021 में अपने होम स्टेट कश्मीर गए हुए हैं. इसी नियम के तहत पूनम भी बिहार गई थीं, लेकिन अब तक नहीं लौटी हैं.
सिर्फ आईएएस को ही हासिल है ये विशेषाधिकार
आम तौर पर कोई साधारण सरकारी डाॅक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, कर्मचारी आदि तो सरकारी तंत्र में नौकरी करते हुए प्राइवेट क्षेत्र में जाकर नौकरी या डेपुटेशन पर नहीं जा सकते हैं, लेकिन आईएएस अफसरों को कानूनन यह छूट मिली हुई है. अब यह कानून दूसरे कार्मिकों के लिए क्यों लागू नहीं है, इस विषय में कार्मिक विभाग खामोश है.
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