Rajasthan Doctors Strike: राजस्थान सरकार की ओर से राइट टू हेल्थ बिल को विधानसभा में पेश किए जाने के बाद प्रदेश के डॉक्टर पिछले 10 दिनों से हड़ताल पर हैं. सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्थाओं से निपटने के लिए इंटर्न डॉक्टर मेडिकल ऑफिसर और सीनियर डॉक्टर को इमरजेंसी आपातकालीन सेवा के लिए अस्पतालों में नियुक्त किया गया है. डॉक्टर की हड़ताल से होने वाली परेशानियों को लेकर अस्पतालों में पहुंच रहे मरीजों को कहना है कि धरती के भगवान को गरीबों के हक का विरोध नहीं करना चाहिए.


जोधपुर के उम्मेद अस्पताल में 200 किलोमीटर दूर से पहुंचे इलाज के लिए मरीज के परिजन ने बताया कि वे अपने बेटे की बहू को लेकर यहां इलाज के लिए आए हैं और यहां पर डॉक्टर हड़ताल पर हैं. हालांकि यहां पर वरिष्ठ डॉक्टर और अन्य डॉक्टर उपलब्ध है. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों गरीबों के स्वास्थ्य लाभ के अधिकार के विरोध में हड़ताल पर हैं. उन्होंने कहा "उनको तो सरकार रुपए दे ही रही है, तो वो इस बिल का विरोध करके क्यों हड़ताल पर हैं, हम गरीबों का हक क्यों छीन रहे हैं".


हड़ताल से मरीज परेशान


राजस्थान सरकार के राइट टू हेल्थ बिल को लेकर प्रदेश के निजी अस्पताल और रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर हैं. इससे अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा है, जिससे मरीज भी परेशान हैं. मरीजों का कहना है कि सरकार का यह बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन डॉक्टर जो भगवान का दूसरा रूप हैं, इन्हें अस्पतालों में उपचार करना चाहिए ना कि सड़कों पर उतर कर हड़ताल करनी चाहिए.


जोधपुर के उम्मेद अस्पताल से रंजना देसाई ने बताया कि रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर हैं, लेकिन अस्पताल में आम दिनों की तरह लगातार मरीजों का इलाज किया जा रहा है. प्रतिदिन 50 डिलीवरी करवाई जा रही है. इसके लिए मेडिकल ऑफिसर, इंटर डॉक्टर, आरजी और अन्य स्टाफ को तैनात किया गया. उन्होंने कहा "हम यह नहीं देख सकते कि हमारे सामने मरीज तड़पता हुआ आए, हमारा काम है मरीजों का उपचार करना जो कि हमारे यहां पर उपचार किया जा रहा है".


क्या कहा मरीज ने?


वहीं मोहम्मद आसलम नामक वयक्ति के दो बच्चे इन्फ्लूएंजा से संक्रमित हैं. उन्होंने बताया कि वे इलाज के लिए अस्पताल आए थे लेकिन रेजिडेंट डॉक्टर नहीं होने के कारण उपचार में परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि सभी तरह के सुख-सुविधा मिलने के बाद भी डॉक्टर छोटी-छोटी मांगों पर हड़ताल पर चले जाते हैं, यह गलत है. उन्होंने कहा "राइट टू हेल्थ बिल ग्रामीण, शहरी और गरीब लोगों का अधिकार है, इस बिल का विरोध क्यों किया जा रहा है, समझ नहीं आ रहा है".


प्रदेश भर में निजी अस्पतालों में राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में ताले लगाए गए हैं. ऐसे में जोधपुर का प्राइवेट गोयल हॉस्पिटल इस हड़ताल में शामिल नहीं है. यहां अस्पताल में पहुंचने वाले मरीजों का उपचार लगातार जारी है. गोयल अस्पताल में उपचार किए जाने का विरोध सभी निजी डॉक्टर कर रहे हैं. गोयल अस्पताल की ओर से पुलिस से सुरक्षा मांगी गई है.


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