Shri Tanot Complex Development: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान में पर्यटन के बढ़ावा के लिए लगातार फैसले ले रहे हैं पर्यटन विभाग प्रदेश में बॉर्डर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए काफी समय प्रयास कर रहा है. इसके लिए पर्यटन विभाग द्वारा पर्यटन मंत्रालय और सीमा सुरक्षा बल के साथ कई बैठके आयोजित की गई है, आखिर पर्यटन विभाग के  प्रयास रंग लाए. पर्यटन मंत्रालय ने राजस्थान पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए श्री तनोट कॉम्प्लेक्स को पर्यटक आकर्षण के रूप में विकसित करने के राजस्थान पर्यटन विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. सीमावर्ती क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास और पर्यटन संबंधी गतिविधियों के लिए 17.67 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. 


सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित मरुस्थलीय धोरे पर्यटकों को आकर्षित करने के साथ ही युद्ध की वीरता और सांस्कृतिक विरासत की कई कहानियों को अपने में समेटे हुए हैं. भारत-पाकिस्तान सीमा पर जीवन का एक अनूठा अनुभव होता है. सुरक्षा बलों की दृढ़ता और 1971 के युद्ध की जीत की यादें ताजा करती जैसलमेर की तनोट बावलियावाला सीमा का अपना इतिहास हैं. पर्यटन विभाग के इस नवाचार से तनोट माता मंदिर, किशनगढ़ किला और लोंगेवाला युद्ध स्मारक विशाल रेगिस्तानी धरा के बीच सुंदर गांव क्षेत्र के प्रमुख पर्यटक स्थल आकर्षण का केंद्र बनने वाले हैं.


तनोट माता मंदिर में हर दिन आते हैं हजारों पर्यटक और भक्त


पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने बताया कि लोंगेवाला भारत की प्रसिद्ध सीमा है, जिसे 1971 के युद्ध के दौरान भारतीय सेना की वीरता के लिए गर्व से याद किया जाता है. यह पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केन्द्र है. उन्होंने बताया कि तनोट माता मंदिर में प्रतिदिन हजारों पर्यटक और भक्त दर्शन के लिए आते है. समृद्ध ऐतिहासिक भव्यता की पृष्ठभूमि में भारत-पाक सीमा की आभा पर्यटकों को जीवन भर संजोने की स्मृति देती है. साथ ही बॉर्डर टूरिज्म से रोजगार और स्थानीय लोक कलाकारों को नए अवसर मिलेंगे.


पर्यटन विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने बताया कि बॉर्डर पर मरुस्थलीय धोरों में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए युद्ध की महिमा और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की कई कहानियां हैं, बॉर्डर टूरिज्म की यह पहल पर्यटकों को सुविधाजनक और सुरक्षित पहुंच प्रदान करेगी. उन्होंने बताया कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और पर्यटन मंत्रालय के साथ राजस्थान पर्यटन की यह पहल न केवल पर्यटकों को सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के साथ-साथ सुरक्षा बलों के जीवन को समझने में मदद करेगी, बल्कि वहां रहने वाले स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए द्वार भी खोलेगी.  


बॉर्डर टूरिज्म के इस नवाचार के तहत तनोट में एक एम्फीथिएटर, व्याख्या केंद्र, चिल्ड्रन एक्टिविटी एरिया, कैफेटेरिया, सौर ऊर्जा संचालित स्ट्रीट लाइटिंग, साइनेज, निगरानी प्रणाली, सीवेज, अपशिष्ट प्रबंधन सहित अन्य सुविधाओं के साथ ही तनोट माता मंदिर परिसर में भी ऐसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी. इसके साथ ही पर्यटक आकर्षणों का रखरखाव और संचालन सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा किया जाएगा, जो आगंतुकों के लिए हथियारों के प्रदर्शन और अन्य सूचनात्मक प्रदर्शनियों की व्यवस्था भी करेगा. पर्यटन गतिविधियों के हिस्से के रूप में बीएसएफ द्वारा डॉक्यूमेंट्री, हथियार प्रदर्शन और फोटो गैलरी को तनोट में ऑप्स बेस पर प्रदर्शित किया जाएगा. पर्यटकों को बावलियावाला बॉर्डर पर जाने और बॉर्डर पॉइंट पर रिट्रीट समारोह देखने का अवसर भी मिलेगा. जैसलमेर जिला प्रशासन भी बावलियांवाला क्षेत्र को विकसित कर रहा है और आगंतुकों के लिए अनेक सुविधाएं प्रदान कर रहा है.


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उल्लेखनीय है कि जैसलमेर शहर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन स्थल के रुप में अपनी एक अलग पहचान रखता है, ऐतिहासिक किले के कारण इसे गोल्डन सिटी भी कहा जाता है. यहां की शाही हवेलियाँ, सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सुंदरता भी पर्यटकों को स्वतः अपनी और आकर्षित करती है. बॉर्डर टूरिज्म से दूर-दराज के गांवों और रेगिस्तानी क्षेत्र के निवासियों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे. साथ ही इससे स्थानीय लोक कलाकारों को अपनी कला को प्रदर्शित करने का बड़ा मंच मिलेगा.


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