Jaipur News: राजस्थान में मिड डे मील योजना को लेकर सरकार सख्त हो गई है. सरकार ने बच्चों को मिड डे मील योजना के तहत पौष्टिक भोजन मिले इसको लेकर संबंधित विभागों को गुणवत्ता में विशेष ध्यान रखने के लिए निर्देश दिए हैं. सरकार ने निर्देश दिए हैं कि बच्चों को हर हाल में पौष्टिक और गुणवत्ता वाला भोजन मिलना चाहिए अगर लापरवाही बरती गई तो कार्रवाई के लिए तैयार रहें. यानी अब मिड डे मील योजना के तहत परोसे जाने वाला खाना गुणवत्ता वाला नहीं हुआ या जली हुई रोटी बच्चों को परोसी गई तो इसके जिम्मेदार संस्थान के प्रधान को माना जाएगा.
गुणवत्ता की होगी जांच
यही नहीं बच्चों को परोसने से पहले संस्था के दो व्यक्ति इसकी गुणवत्ता और पौष्टिकता की जांच करेंगे. उसके बाद ही बच्चों को खाना परोसा जाएगा. राजस्थान में ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद एक जुलाई से विद्यालय में मिड डे मील योजना के तहत भोजन मिलना शुरू हो गया है. ऐसे में नए दिशा निर्देशों के तहत सभी अधिकारियों को योजना के तहत छात्र-छात्राओं को पौष्टिक भोजन गुणवत्तापूर्ण ताजा भोजन उपलब्ध हो सके. इसके लिए भोजन की गुणवत्ता खाद्यान्न के विशेष रखरखाव स्वास्थ्य सुरक्षा और साफ सफाई का विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिए गए हैं. गौरतलब है कि प्रदेश भर में कई जगहों पर मिड डे मील योजना के तहत खाने में गुणवत्ता नहीं होने सहित कई प्रकार की लापरवाही सामने आ रही थी जिसको लेकर राजस्थान सरकार ने मिड डे मील योजना में सख्ती दिखाई है.
समय पर कराना होगा मेडिकल चेकअप
राजस्थान शिक्षा विभाग के आदेश के अनुसार मिड डे मील योजना में छात्रों को भोजन पोस्ट को गुणवत्ता में पूर्ण मिले इसको लेकर मिड डे मील में लगाए गए कुक कम हेल्पर को भी मेडिकल चेकअप करवाना होगा. समय-समय पर इसकी रिपोर्ट संस्था प्रधान को दिखानी होगी. मेडिकल रिपोर्ट में भी सरकारी मापदंडों के तहत चेकअप कराना होगा. जिसमे नियमित रूप से नाखून काटने, हाथ धोकर खाना बनाने, स्वच्छ कपड़े पहनने होंगे. साथ ही भोजन खाने व परोसने वाले बर्तन भी पूरी तरह साफ हो इसका विशेष ध्यान रखना होगा.
हरी सब्जियों का अधिक प्रयोग करने के निर्देश
बच्चों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता और पौष्टिकता का पूरा ध्यान रखना होगा. इसके लिए रोजाना दिए जा रहे मेन्यू में हरी पत्तेदार सब्जियां अधिक से अधिक उपयोग में लेनी होगी. इसके अलावा रोटी अच्छी तरह से पकी हुई होनी चाहिए. किसी भी परिस्थिति में रोटी जली हुई नहीं हो. अधिक पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक, बथुआ, लोकी, मैथी, धनिया आदि आटे में मिलाकर मसालों के साथ तैयार करनी होंगी.
अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक उदय लाल मेघवाल ने बताया कि मिड-डे-मील आयुक्तालय की ओर से बच्चों को दिए जाने वाले भोजन को लेकर नए दिशा-निर्देश मिले हैं. जिसके तहत संस्था प्रधानों को बच्चों को गुणवत्ता व पौष्टिक भोजन परोसना होगा. भोजन परोसने से पहले दो व्यक्ति उसे चखेंगे. लापरवाही सामने आने पर कार्रवाई की जाएगी
इनका रखना होगा पूरा ध्यान
भोजन सामग्री, दालें, मसाले और तेल की निर्धारित मात्रा का उपयोग करना होगा, खाद्यान्न, सब्जियां अच्छी तरह साफ और धोकर काम में ली जाए, अगर खाद्यान्न खाने योग्य नहीं तो उसे किसी भी स्थिति में उपयोग नहीं लिया जाए, उच्च गुणवत्ता युक्त दाल,तेल और मसाले उपयोग में लिया जाए. विद्यालयों में किसी भी स्थिति में एक तिमाही की मांग से अधिक खाद्यान्न स्टॉक नहीं होना चाहिए.
खाद्यान्न एक निश्चित ऊंचाई कम से कम छह इंच के प्लेटफार्म पर दीवारों से दूर रखा जाए. जिसमें चूहे और अन्य कीड़े-मकोड़ों की समस्या ना हो. जिस कमरे में खाद्यान्न रखा है. उस कमरे में वेंटिलेशन होना चाहिए, ताकि नमी के कारण अनाज के खराब होने की समस्या से बचा जा सके. नए खाद्यान्न को पुराने खाद्यान्न से अलग रखा जाए, खाद्यान्न को सुरक्षित रखने के लिए किसी भी स्थिति में पेस्टीसाइड, कीड़े और चूहे मारने के लिए काम आने वाला कोई भी रासायनिक पदार्थ उपयोग में नहीं लिया हो, ऐसा कोई जहरीला या हानिकारक पदार्थ रसोई या भंडारण के नजदीक नहीं रखा जाए.
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