Rajasthan Government on AI Scam: राजस्थान में सरकार ने डीप फेक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) उपयोग के लिए एडवाइजरी जारी की है. क्योंकि राजस्थान में पिछले दिनों बड़ी संख्या में डीप फेक और एआई के दुरुपयोग की घटनाएं सामने आई हैं. एक निर्दलीय महिला विधायक का डीप फेक वीडियो वायरल भी हुआ था. उसके बाद से कई मामले डिजिटल अरेस्ट के भी आ चुके हैं. इसलिए, सरकार ने यहां पर कई बार अपडेट दिया है, लेकिन अब राज्य सरकार ने एडवाइजरी जारी की है.
सरकार का कहना है कि डीपफेक एक तकनीक है जिसमें एआई का उपयोग कर यथार्थ और विश्वसनीय लगने वाले नकली वीडियो, चित्र और ऑडियो बनाए जाते हैं. इसके माध्यम से गलत सूचनाएं फैलाने, साइबर धोखाधड़ी और वित्तीय ठगी करने का काम किया जाता है. इसका उपयोग किसी भी व्यक्ति या संगठन की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए भी किया जा सकता है. घोटालेबाजों द्वारा डीपफेक तकनीक का उपयोग कर परिवार के सदस्यों या परिचितों का प्रतिरूपण कर धन हस्तांतरण या संवेदनशील वित्तीय जानकारी जुटा कर उसका दुरुपयोग किया जा सकता है.
डीपफेक से कैसे बचा जाए?
डीपफेक से बचने के लिए उसे पहचानना जरूरी है. असामान्य भाव भंगिमाएं, सिंथेटिक रूप रंग, रोबोट जैसी आवाज एवं असंगत प्रकाश व्यवस्था जैसे संकेतों से डीपफेक की पहचान की जा सकती है. डीपफेक से बचाव के लिए जरूरी है कि बिना विश्वसनीय स्रोत के किसी भी डिजिटल सामग्री को सोशल मीडिया पर साझा नहीं करना चाहिये.
एडवाइजरी में कहा गया है कि किसी भी सूचना की वास्तविकता का आकलन करके ही शेयर करें. साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह भी जरूरी है कि व्यक्ति ऑनलाइन साझा किये जाने वाली सूचना खासकर व्यक्तिगत सूचना की मात्रा को सीमित करें. खास तौर पर हाई रेजोल्यूशन वाली तस्वीरें और वीडियो, क्योंकि इनका दुरुपयोग डीपफेक बनाने के लिए आसानी से किया जा सकता है.
संगठन पाएं डीपफेक से सुरक्षा
राज्य सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी में संगठनों के लिए भी रणनीतियां जारी की गई हैं. इसमें ऑनलाइन फोटो, वीडियो अथवा डॉक्यूमेंट जारी करते समय डिजिटल वाटर मार्क का उपयोग करना, डिजिटल संचार के लिए कड़े सत्यापन, प्रोटोकॉल स्थापित करना तथा संवेदनशील लेन देन के लिए मल्टी फैक्टर ऑथेंटिकेशन और कॉल बैक जैसी प्रक्रिया अपनाने के दिशा-निर्देश दिये गए हैं.
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