Mission 2023: चुनाव करीब देख सरकार को आई कार्यकर्ता की याद, मौत के बाद समिति में मिली जगह, ऐसे खुली पोल
भरतपुर में अजीबोगरीब मामला सामने आया है. मौत के बाद सरकार ने कार्यकर्ता को जन अभियोग एवं सतर्कता समिति का सदस्य बना दिया. आदेश आने के बाद प्रशासन की जांच में पोल खुल गया.
Rajasthan News: राजस्थान कांग्रेस सरकार की तरफ से आनन फानन में की गई नियुक्ति भरतपुर में चर्चा का विषय बन गई है. सरकार ने डेढ़ साल पहले दिवंगत हो चुके कार्यकर्ता को जिला जन अभियोग एवं सतर्कता समिति का सदस्य बना दिया. भरतपुर में जिला जन अभियोग एवं सतर्कता समिति के लिए पांच लोगों की नियुक्ति की गई है. 25 जनवरी को सरकार की तरफ से जारी नियुक्ति आदेश में कार्यकर्ता संजय लवानियां का नाम भी शामिल है. संजय लवानियां की मौत 2021 में हो गई है. कार्यकर्ता की मौत के बाद नियुक्ति आदेश पर सवाल खड़े हो गए हैं.
नियुक्ति आदेश से सरकार की किरकरी
लोगों का कहना है कि चुनाव नजदीक आता देख सरकार को संगठन और कार्यकर्ता याद आ रहे हैं. अतिरिक्त जिला कलेक्टर (शहर) सुभाष गोयल ने बताया है कि राज्य सरकार की ओर से जन अभाव अभियोग निराकरण समिति में कुल पांच सदस्य मनोनीत किये गए हैं. उप जिला कलेक्टर स्तर पर वेरिफिकेशन के दौरान खुलासा हुआ कि संजय लवानियां की मौत हो चुकी है. संजय लवानियां की मौत की रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई है. उन्होंने बताया कि हो सकता है नाम पहले ही प्रपोज कर दिए थे.
मृत कार्यकर्ता को मिली समिति में जगह
मनोनयन की कार्रवाई के दौरान संजय लवानियां की मौत हो गई. रिपोर्ट के बाद अब सरकार की तरफ से किसी अन्य कार्यकर्ता को मनोनीत कर दिया जायेगा. गौरतलब है कि राजस्थान सरकार का कार्यकाल इसी साल खत्म हो रहा है. राजस्थान की कांग्रेस सरकार को चार वर्ष से ज्यादा सत्ता संभाले हो गए. चार वर्ष में सरकार ने ने संगठन और कार्यकर्ताओं की ओर ध्यान नहीं दिया. राजनीतिक नियुक्तियां नहीं होने का कारण सभी जानते हैं.
राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के लिए सचिन पायलट और अशोक गहलोत में खींचतान रही है. कांग्रेस पार्टी दो खेमों में बंटती हुई दिखाई दी. इस कारण सरकार ने कार्यकर्ताओं को राजनीतिक नियुक्तियों से दूर रखा. विधानसभा चुनाव नजदीक देख सरकार रिपीट करने के लिए कांग्रेस को कार्यकर्ताओं की याद आई है. अब आनन फानन प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा भी ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति करने में लगे हैं. अभी राजस्थान के कई जिलाध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हुई है.