Rajasthan News: रेप और मर्डर जैसे मामलों में जांच में तेजी लाकर आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने के लिए राज्य सरकार, प्रदेश के चार राजकीय हॉस्पिटलों में डीएनए फिंगर प्रिंट लैब की शुरुआत करने जा रही है. ये लैब उदयपुर के रवींद्रनाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज सहित जयपुर, जोधपुर और कोटा के हॉस्पिटलों में होगी. इन चारों मेडिकल कॉलेजों या कहे इनसे जुड़े हॉस्पिटल स्तर पर विभिन्न आपराधिक मामलों में डीएनए टेस्ट किया जा सकेगा.
राजस्थान में अब तक मेडिकल कॉलेज स्तर पर डीएनए टेस्टिंग की सुविधा नहीं है. पूरे प्रदेश में सिर्फ जयपुर एफएसएल डीएनए जांच करती है. इसके लिए पूरे प्रदेश की पुलिस जयपुर में सैम्पल भेजती है. ज्यादा सैम्पल होने से जांच में देरी होती है जिससे मामला भी लंबित रहता है और त्वरित न्याय नहीं मिल पाता है. इसके लिए राज्य सरकार ने 23.40 करोड़ रुपये का बजट भी जारी किया है. आरएनटी कॉलेज प्रिंसिपल लाखन पोसवाल ने बताया कि राज्य सरकार ने अपनी बजट घोषणा में अपराधों में त्वरित न्याय के लिए ऐसे लैब स्थापित करने को कहा था. इसी क्रम में यह लैब उदयपुर सहित 4 जगहों पर स्थापित की जाएगी.
सरकार ने प्रति लैब 435 लाख रुपए के उपकरण, सिविल निर्माण कार्य के लिए 70 लाख रुपए, लैब संचालन के लिए व कैमिकल के लिए 80 लाख रुपए स्वीकृत किए हैं. साथ ही प्रत्येक लैब के लिए 4 साइंटिफिक ऑफिसर, 2 सूचना सहायक और एजेंसी के माध्यम से 4 सिक्युरिटी गार्ड के पद भी सृजित किये गए हैं.
डॉ लाखन पोसवाल ने बताया कि इस लैब के खुलने के बाद रेप, मर्डर सहित अन्य मामलों में उदयपुर में ही डीएनए टेस्ट करवा पाएंगे. साथ ही किसी गुमशुदगी के मामले में दो पक्षों द्वारा दावा करने की स्थिति में भी डीएनए जांच कर पता लगा पाएंगे. मेडिकल कॉलेज स्तर पर पहली बार यह सुविधा दी जा रही है. उन्होंने बताया कि डीएनए फिंगर प्रिंट एक प्रयोगशाला तकनीक है. जिसका उपयोग आपराधिक जांच जैविक साक्ष्य और एक संदिग्ध के बीच लिंक स्थापित करने के लिए किया जाता है. अपराध स्थल से लिये गए नमूने की तुलना संदिग्ध व्यक्ति के लिए गए नमूने से की जाती है.
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