Rajasthan News: राजस्थान सरकार सार्वजनिक उपयोग के लिए लेगी निजी जमीन, जानिए- किस फॉर्मूले को लागू करने की बनाई जा रही योजना
राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार सार्वजनिक उपयोग के लिए निजी जमीन को लेने की योजना बना रही है. इसके लिए भूमि प्रावधानों में संशोधन किया जाएगा और एक नए फॉर्मूले के तहत सीधे मालिकों से जमीन ली जाएगी.
Rajasthan News: राजस्थान सरकार निजी भूमि को सार्वजनिक उपयोग में लेने के लिए भूमि प्रावधान में संशोधन कर नया फॉर्मूला लागू करने की योजना बना रही है. नए फॉर्मूले के तहत अब जनता की सुविधा के लिए जमीन अधिग्रहण करने की बजाय सीधे मालिकों से ली जाएगी. 60 प्रतिशत भूमि का उपयोग सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा और शेष 40 प्रतिशत भूमि का विकास कर मुआवजे के रूप में मालिक को वापस कर दिया जाएगा. 60% में से 40% का उपयोग पार्क, स्टेडियम, खेल मैदान, सामुदायिक केंद्र, अस्पताल जैसी सुविधाओं का विकास करने के लिए किया जाएगा और शेष 20 प्रतिशत का वाणिज्यिक, आवासीय और संस्थागत उपयोग किया जाएगा.
मसौदा तैयार कर जनता से मांगे सुझाव
सरकार ने मसौदा तैयार कर प्रस्ताव पर जनता से आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं. प्रस्ताव के अनुसार, सरकार उस भूमि का कब्जा लेगी, जिसका भू-उपयोग मास्टर प्लान में मनोरंजन और सुविधा क्षेत्र के रूप में निर्धारित किया है. सरकार उस भूमि पर पार्क, खेल मैदान, स्टेडियम विकसित कर सकती है. इसी तरह सुविधा क्षेत्र की भूमि का उपयोग सार्वजनिक, पर्यटन, सामुदायिक सुविधाओं और परिवहन उपयोग के विकास के लिए किया जा सकता है.
इसलिए बनाई नई नीति
एक अधिकारी ने नई नीति लाने की वजह बताई कि ‘मास्टरप्लान में बड़े पैमाने पर मनोरंजन और सुविधा क्षेत्रों के लिए भूमि निर्धारित और आरक्षित है, लेकिन यह सिर्फ कागजों पर ही बनकर रह गए हैं. एक भी पार्क, खेल मैदान या अन्य सुविधाओं को मौके पर जमीन अधिग्रहण कर विकसित नहीं किया. इसका नतीजा यह रहा है कि या तो वहां अवैध निर्माण हुए, या किसी अन्य उद्देश्य के लिए जमीन बेची गई. अब नई योजना के तहत जमीन लेकर विकास कार्य करेंगे.’
ऐसे होगा जमीन का बंटवारा
प्रस्ताव में सरकार ने उल्लेख किया है कि 10 हेक्टेयर से बड़ी योजनाओं के लिए, भूमि मालिक को संबंधित निकाय को न्यूनतम 40% भूमि पूरी तरह से मुफ्त देनी होगी. शेष 40% का उपयोग भूमि मालिक वाणिज्यिक, मिश्रित, आवासीय या संस्थागत उपयोग के लिए कर सकता है. 15% भूमि नगरीय निकाय के कब्जे में रहेगी, जिसे वह वाणिज्यिक, मिश्रित, आवासीय या संस्थागत उपयोग के लिए आवंटित करेगा या बेचेगा. शेष 5% भूमि पर नगर निकाय सामुदायिक सुविधा विकसित करेगा.
10 हेक्टेयर से छोटी योजनाओं के लिए भूमि मालिक अपनी न्यूनतम भूमि का 50% नगर निकाय को निःशुल्क देगा. मालिक अधिकतम 40% भूमि का उपयोग वाणिज्यिक, मिश्रित, आवासीय या संस्थागत के लिए कर सकता है. शेष 10% का कब्जा नगर निकाय की ओर से सुविधाओं को विकसित करने के लिए लिया जाएगा.
ये भी पढ़ें