Rajasthan News: बजरी माफिया की मनमानी पर अब जल्द ही रोक लगेगी. सुप्रीम कोर्ट ने चार साल बाद वैध लीजधारकों को आवश्यक प्रक्रिया के बाद बजरी खनन की अनुमति दी है. सरकार ने अजमेर, पाली और भीलवाड़ा जिले में 2221 हेक्टेयर क्षेत्र में एलओआई धारकों को बजरी खनन की स्वीकृति प्रदान कर दी. रोजाना इन जिलों से करीब 500 डंपर बजरी का वैध खनन होने से माफिया की मनमानी पर अंकुश लगेगा और लोगों को मुंह मांगे दाम पर बजरी खरीदने की मजबूरी नहीं होगी. साथ ही सरकार को भी सालाना 19 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होगा.


दो दिन पूर्व ही ACB ने की थी कार्रवाई
ब्यावर खनिज अभियंता क्षेत्र में कुछ रोज पहले ही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो अजमेर की टीम ने बाबरा पुलिस चौकी प्रभारी भागचंद को बजरी का अवैध खनन के लिए 40 हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा था. आरोप है कि खेत से डंपर और ट्रैक्टरों से बजरी भरवाने का व्यवसाय करने देने के एवज में 50 हजार रुपए मंथली मांगी.


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एक नजर बजरी खनन पर
कब से लगी थी रोक-16 नवंबर 2017 से
क्यों लगी रोक- सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर
नवंबर 2021 को शर्तों के साथ मिली मंजूरी
ब्यावर क्षेत्राधिकार में मंजूरी-1677 हेक्टेयर क्षेत्र
भीलवाड़ा क्षेत्राधिकार में मंजूरी-544.03 हेक्टेयर
बजरी के अवैध खनन और कालाबाजारी पर रोक
सरकार को कितनी होगी आय-19 करोड़ रुपए
सालाना बजरी का होगा उत्पादन-40 लाख टन


पाली जिले की रायपुर तहसील की राजस्व सीमा में नांद पुष्कर निवासी जसवंत सिंह के पक्ष में गैर मुमकिन नदी, नालों, भालों से (खसरे के अनुसार) निकलने वाला खनिज बजरी क्षेत्र 1677 हेक्टेयर है. खनन पट्टा स्वीकृति के लिए मंशा पत्र (एलओआई-लैटर ऑफ इंटेंट) वर्ष 2013 को जारी हुआ. वन व पर्यावरण मंत्रालय से 24 दिसंबर 2016 को पर्यावरण की अनुमति प्राप्त हुई. 16 नवंबर 2017 से बजरी खनन बंद करने के आदेश के अगले ही दिन से खनन कार्य बंद हो गया. पट्टाधारी ने रिप्लेनिशमेंट स्टडी प्रस्तुत कर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से 3 फरवरी 2022 को नई पर्यावरण सहमति प्राप्त कर प्रार्थना पत्र 11 फरवरी 2022 को प्रस्तुत किया. ऐसे में रायपुर क्षेत्र में सालाना करीब 12 लाख टन बजरी का वैध खनन हो सकेगा.


शिखरानी-अजमेर निवासी विक्रमादित्य राठौड़ के पक्ष में भीलवाड़ा की तहसील हुरड़ा और अजमेर की मसूदा तहसील के राजस्व गांवों में गैर मुमकिन नदी-नालों, भालों से निकलने वाला खनिज क्षेत्र 544.03 हेक्टेयर क्षेत्र है. एलओआई होल्डर ने 22 दिसंबर 2018 तक की अवधि के लिए बजरी का खनन पट्टा प्राप्त किया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2017 से बजरी खनन बंद करने के बाद 3 फरवरी 2022 को नई पर्यावरण सहमित प्राप्त कर प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया. सरकार ने राइज-नॉन पीरियड अवधि सुप्रीम कोर्ट में एवं मंशा पत्र धारकों द्वारा प्रस्तुत एसएलपी व अन्य में हाईकोर्ट द्वारा पारित 11 नवंबर 2021 के अनुसरण में खनन पट्टा की अवधि में 13 माह 6 दिन के लिए शर्तों के साथ बढ़ोतरी की. हुरड़ा क्षेत्र में सालाना 28 लाख टन बजरी का उत्पादन हो सकेगा.


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