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Rajasthan News: एमएसपी से नीचे पहुंचीं मूंगफली की कीमतें, तिलहन किसानों को भारी नुकसान की आशंका

Jaipur News: तिलहन का भाव गिरने से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. ऐसे में भारतीय किसान संघ ने खाद्य तेलों के आयात को नियंत्रित कर आयात शुल्क बढ़ाने की मांग की है

Rajasthan News: खरीफ सीजन की फसलें कटाई होकर मंडियों में आना शुरू हो गई हैं. किसान त्योहारी सीजन से पूर्व फसलों को बेच कर रबी सीजन की बुवाई भी करना चाहते हैं. इस बीच तिलहन फसलों (Oilseed Crop) के भावों में गत 8-10 माह में 20 से 40  प्रतिशत तक की गिरावट ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. खरीफ सीजन के दौरान मारवाड़ में जहां मूंगफली (Groundnut), वहीं प्रदेश के दूसरे जिलों में खरीफ सीजन की प्रमुख तिलहन फसल सोयाबीन (Soybean) भी मंडियों में आने लगी है.

20 से 40 प्रतिशत गिरे तिलहन के दाम

इन फसलों के वर्तमान मंडी भाव पिछले साल के भाव से 20 से 40 प्रतिशत कम हैं. गत वर्ष के तिलहन फसलों के अच्छे भाव रहने से किसानों का इन फसलों की ओर रुझान बढ़ा था लेकिन इस बार भाव पिछले वर्ष की तुलना में कहीं ज्यादा नीचे आ गए हैं जिससे किसानों की तिलहन फसलों के अच्छे भाव मिलने की उम्मीदों को झटका लगा है. मूंगफली का बाजार भाव इसके समर्थन मूल्य 5850 से भी नीचे आ गया है, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. 

प्रदेश में मूंगफली का 17 लाख व सोयाबीन का 9 लाख मीट्रिक टन फसल पैदावार का अनुमान है. इस बीच सरकार ने आयात शुल्क में छूट की सीमा को मार्च 2023 तक बढ़ाने की घोषणा कर दी है इससे रबी सीजन में सरसो की बुवाई भी प्रभावित होने की आशंका है. प्रदेश में 70 लाख हैक्टेयर में तिलहन की बुवाई होती है जहां एक करोड़ मिट्रिक के लगभग तिलहन की पैदावार होती है. इसके बावजूद देश में हर वर्ष एक लाख करोड़ से अधिक का तिलहन का आयात करना पड़ता है.

हाल ही में खाद्य तेल आयात पर रियायती सीमा शुल्क को मार्च 2023 तक बढ़ाया गया. कच्चे पाम तेल, आरबीडी पामोलिन, आरबीडी पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल, परिष्कृत सोयाबीन तेल, कच्चे सूरजमुखी तेल और परिष्कृत सूरजमुखी तेल पर वर्तमान शुल्क व्यवस्था में 31 मार्च, 2023 तक कोई बदलाव नहीं होगा. पाम तेल, सोयाबीन तेल और सूरजमुखी तेल की कच्ची किस्मों पर आयात शुल्क फिलहाल शून्य है. हालांकि, 5 प्रतिशत कृषि और 10 प्रतिशत सामाजिक कल्याण उपकर को ध्यान में रखते हुए इन तीन खाद्य तेलों की कच्ची किस्मों पर प्रभावी शुल्क 5.5 प्रतिशत है.

प्रदेश में प्रमुख तिलहन फसलों का रकबा व उत्पादन

फसल        रकबा        पैदावार
मूंगफली   7.97          17.00
सोयाबीन   11.55          9.25
सरसों        41.59        71.39
तारामीरा    3.50            1.98
तिल          2.90            0.77
कुल          67.51      100.39
स्रोत - कृषि विभाग
(रकबा लाख हैक्टेयर व पैदावार लाख मीट्रिक टन)

प्रमुख तिलहन फसलों के गत वर्ष व वर्तमान बाजार भाव

फसल     गत वर्ष भाव   वर्तमान भाव
सोयाबीन     ₹9000         ₹4500
मूंगफली     ₹6700         ₹5500
सरसो          ₹8000         ₹5000

समर्थन मूल्य व बाज़ार भाव -
फसल     समर्थन मूल्य   बाजार भाव
सोयाबीन     ₹4300          ₹4500
मूंगफली     ₹5850           ₹5500
सरसो          ₹5050          ₹5000
(मूल्य रुपए प्रति किंवटल)


आयात शुल्क में अंतर -
गत वर्ष आयात शुल्क - 40 प्रतिशत तक
वर्तमान आयात शुल्क - शून्य प्रतिशत

भारत अभी भी आयात करता है तिलहन
तिलहन फसलों के मामले में भारत अभी तक आयात पर निर्भर है. देश में खाद्य तेलों का आयात बिल कम करने  व खाद्य तेलों में देश को आत्मनिर्भर बनाने हेतु तिलहन फसलों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है. इसके लिए किसानों को तिलहन फसलों का लागत आधारित लाभकारी  मूल्य देना होगा लेकिन कुछ महीनों से महंगाई के हो हल्ले के दबाव में आकर सरकार ने खाद्य तेलों के आयात की खुली छूट देकर आयात शुल्क घटा दिया है, जिससे तिलहन फसलों के दाम गिर कर समर्थन मूल्य से भी नीचे आ गए. खरीफ की तिलहन फसलों की मंडियों में आवक शुरू होने वाली है, ऐसे में तिलहन के आयात को नियंत्रित कर आयात शुल्क बढ़ाने की आवश्यकता है. अधिक समय तक आयात शुल्क में छूट से रबी की तिलहन बुवाई प्रभावित होने की आशंका है.

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