Rajasthan News: देश के टाइगर रिजर्व में जंगल सफारी (Jungle Safari) का मजा दे रही जिप्सी गाड़ियों का सफर समाप्त होने जा रहा है. इस गाड़ियों के स्थान पर नई गाड़ियां लोगों को सफर करवाएंगी. इसके लिए वन विभाग द्वारा टेंडर प्रकिया भी शुरू कर दी गई है. पिछले 25 सालों से जंगल सफारी को जिप्सी के द्वारा करवाया जाता था. वन विभाग के द्वारा एक जिप्सी को जंगल में सफारी के लिए 10 साल तक काम में लिया जाता था.


इसके बाद में संचालक को नई जिप्सी लगाने के निर्देश दिए जाते थे, लेकिन अब पूरी गाड़ियां हटाकर नई लाई जा रही हैं. देश भर में लगभग 53 टाइगर रिजर्व हैं. उनमें से 45 टाईगर रिजर्व में सफारी चल रही है. राजस्थान के भी सवाईमाधोपुर स्थित (Sawai Madhopur) रणथंभौर टाइगर रिजर्व (Ranthambore Tiger Reserve), सरिस्का और रामगढ़ विषधारी टाइगर (Ramgarh Visdhari Tiger Reserve) रिजर्व में सफारी चल रही है. इनमें से रणथंभौर टाइगर रिजर्व में ही 269 जिप्सी रजिस्टर्ड हैं.


18 अगस्त को होगी एनटीसीए की बैठक
दरअसल, एनटीसीए की ओर से देश के सभी टाइगर रिजर्व में चलने वाली जिप्सियों की संख्या वहां के फील्ड डायरेक्टर से मांगी गई है. रणथंभौर टाइगर रिजर्व में चलने वाली 269 जिप्सियों की संख्या एनटीसीए को भेज दी गई है. एनटीसीए की आगामी 18 अगस्त को बैठक होनी है. उसमें तय होने के बाद एनटीसीए वाइल्ड लाइफ के हिसाब से गाड़ी तैयार करने के निर्देश देगा. ये जिम्नी 7 सीटर आएगी. वर्तमान ये 5 सीटर है.


जिप्सी संचालकों ने क्या कहा
एनटीसीए से पास होने के बाद टाइगर रिजर्व के लिए कंपनी की ओर से प्रोडक्शन शुरू किया जाएगा. सवाई माधोपुर के रणथंभौर टाइगर रिजर्व में जंगल सफारी करवा रहे जिप्सी संचालकों का कहना है कि शुरूआत में डीजल से चलने वाली जीप चला करती थी. फिर एनटीसीए ने 1998 में जिप्सी को पास किया. उसके बाद से ही जिप्सी पर्यटकों टाईगर रिजर्व की सफारी करा रही है.


पर्यटकों का भी किराया बढ़ने की संभावना
संचालकों ने ये भी कहा कि एनटीसीए से प्रपोजल पास होने के बाद सात सीटर गाड़ी तो ओर महंगी आएगी, जिसके कारण वाहन मालिकों पर इसका अनावश्यक भार पड़ेगा. वर्तमान में जिप्सी की लागत के हिसाब से वाहन मालिकों ने वन विभाग के साथ मिलकर दरें तय कर रखी हैं. अब नई गाड़ी आएगी तो उसके हिसाब से नई दरें तय होंगी. नई गाड़ी आने से इसके पार्टस को लेकर वाहन मालिकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. जंगल में उबड़ खाबड़ रास्तों पर गाड़ियों के कई पार्टस बार-बार टूटते रहते हैं. 


स्पेयर पार्टस को लेकर आ सकती है परेशानी
उन्होंने कहा कि उनको असेम्बल करने के लिए दिल्ली ही जाना पड़ेगा. क्योंकि नई गाड़ी के पार्टस यहां तक आने में काफी समय लग जाता है.  शुरूआत में जिप्सी को लेकर भी यही परेशानी थी. जिप्सी के जैसे तो कई वाहनों के पार्टस होते हैं. इसके कारण पार्टस की आवश्यकता पड़ने पर आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं, लेकिन नई गाड़ी आने के बाद ही पता चलेगा क्या समस्याएं आएंगी. जिप्सी के जंगल से बाहर होने की बात आने के साथ ही संचालकों ने नए वाहनों को बुक करवाना शुरू कर दिया है.


 200 नई गाड़ियां हो चुकी बुक
एक कार शोरूम मालिक के अनुसार, रणथंभौर टाइगर रिजर्व में 200 जिम्नी को बुक करवाया जा चुका है. इस मामले में रणथंभौर टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर के पी. काथिरवेल का कहना है कि एनटीसीए ने प्रत्येक टाइगर रिजर्व में चलने वाली जिप्सी की जगह जिम्नी गाड़ी को बदलने के लिए कितनी गाड़ियों की आवश्यकता है, उसकी जानकारी मांगी गई थी. रिपोर्ट एनटीसीए को भेज दी है. फाइनल निर्णय वहीं से होगा.


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