राजस्थान हाई कोर्ट ने नाबालिग रेप पीड़िता को गर्भपात को दी मंजूरी, 'माता-पिता खतरों से अवगत'
Rajasthan News: राजस्थान में मेडिकल बोर्ड ने कोर्ट को बताया कि माता-पिता गर्भपात के खतरों से वाकिफ हैं और उसके बाद उन्होंने अपनी सहमति दी है लिहाजा बोर्ड गर्भपात का सुझाव देता है.

Jaipur News: राजस्थान में 13 साल की रेप पीड़ित लड़की गर्भवती हो गई. उसके परिवार ने गर्भपात कराने के लिए हाई कोर्ट की शरण ली. अब राजस्थान हाई कोर्ट ने लड़की को गर्भपात की इजाजत दे दी है लेकिन साथ ही कहा है कि यह घटना उसके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित ना करे. जस्टिस सुदेश बंसल ने 10 मार्च को जारी अपने एक आदेश में यह बात कही. दरअसल, मेडिकल बोर्ड ने 8 मार्च को एक रिपोर्ट पेश की थी जिसमें 27 सप्ताह से अधिक के गर्भ को गिराने का सुझाव दिया गया था.
कोर्ट ने कहा था कि पीड़ित एक नाबालिग और रेप पीड़िता है. उसके माता-पिता ने गर्भपात के लिए सहमति दे दी थी. उन्होंने यह जानते हुए सहमति दी है कि इससे बच्ची की जान को खतरा हो सकता है. हाई कोर्ट ने कहा कि अगर अनचाही प्रेग्नेंसी को समाप्त करने की इजाजत नहीं जाती और बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर किया जाता है तो पीड़िता के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है. कोर्ट में वकील ने बताया कि बच्ची के साथ हुए रेप का केस 3 मार्च को दर्ज किया गया है.
कोर्ट ने समझी नाबालिग की तकलीफ
कोर्ट ने कहा कि बच्चे के जन्म के कारण उसे पूरे जीवन में तकलीफ उठानी पड़ेगी जिसमें बच्चे का भरण-पोषण और अन्य जिम्मेदारियां शामिल हैं. कोर्ट ने कहा कि विशेष परिस्थितियों पर विचार करते हुए रेप पीड़िता को 2021 के संशोधित अधिनियम से परे जाकर भी गर्भपात की इजाजत दी जा सकती है.
कोर्ट ने दिए डीएनए टेस्ट के निर्देश
कोर्ट ने साथ ही जयपुर के महिला चिकित्सालय के सुप्रिटेंडेंट को निर्देश दिया गया कि गर्भपात की उचित व्यवस्था कराई जाए. अगर भ्रूण जिंदा रह जाता है तो यह सुनिश्चित किया जाए कि उसको पर्याप्त मेडिकल सुविधा मिले और बच्चे का भरण-पोषण सरकारी खर्च पर हो. अगर भ्रूण जिंदा नहीं होता तो डीएनए टेस्ट कराया जाए.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
