Rajasthan: हाईकोर्ट से UDH मंत्री शांति धारीवाल को मिली क्लीनचिट, एकलपट्टा से जुड़ा है मामला
गहलोत के खास मंत्री धारीवाल को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. 18 अप्रैल 2022 के आदेश से मंत्री पर शुरू की गई कार्रवाई भी रद्द कर दी गई.
![Rajasthan: हाईकोर्ट से UDH मंत्री शांति धारीवाल को मिली क्लीनचिट, एकलपट्टा से जुड़ा है मामला Rajasthan High Court gives relief to UDH minister Shanti Dhariwal in single lease case ANN Rajasthan: हाईकोर्ट से UDH मंत्री शांति धारीवाल को मिली क्लीनचिट, एकलपट्टा से जुड़ा है मामला](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/11/16/33c98b2b4ca4a1f7506da744dfa7ddca1668593776128208_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Rajasthan News: यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल (Shanti Kumar Dhariwal) पिछले कई महीनों से सियासी गलियारे में छाये हुए हैं. धारीवाल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के सबसे खास मंत्रियों में से एक हैं. अशोक गहलोत के समर्थन में खुलकर कई बार बोलते हुए देखे भी गए हैं. चर्चा में रहनेवाले मंत्री शांति धारीवाल को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने चर्चित एकल पट्टा केस खत्म कर दिया है. मामला जयपुर विकास प्राधिकरण (Jaipur Development Authority) में एकल पट्टा से जुड़ा है.
हाईकोर्ट ने धारीवाल को दी क्लीनचिट
2011 में धांधली की शिकायत पर एसीबी ने केस दर्ज किया था. तब से लेकर अब तक मामले में कार्रवाई जारी थी. जयपुर स्थित विशेष कोर्ट ने एकल पट्टा प्रकरण में एसीबी की ओर से यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और नगर विकास विभाग के तत्कालीन सेक्रेटरी एन एल मीणा की अंतिम रिपोर्ट यानी एफआर लगाने पर फिर से जांच के लिए लौटा दिया था. एसीबी की रिपोर्ट बार-बार खारिज होने को आधार बनाते हुए फैसला सुनाया.
20 अप्रैल 2022 को एसीबी कोर्ट ने कुछ बिंदुओं पर उच्च अधिकारी से अग्रिम जांच के आदेश दे दिए. बीजेपी के पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने राज्यपाल को पत्र लिखकर जांच में निष्पक्षता के लिए मंत्री से इस्तीफा की मांग की थी. उन्होंने इस्तीफा नहीं देने पर राज्यपाल से मंत्री को बर्खास्त करने की मांग की. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और मांग भी धीरे-धीरे शांत हो गई. अब हाईकोर्ट ने अंतिम मुहर लगा दी है. हाईकोर्ट ने एसीबी कोर्ट के आदेश से धारीवाल पर शुरू की गई कार्रवाई भी रद्द कर दी है. जस्टिस नरेन्द्र सिंह ढड्डा ने आदेश मंगलवार को धारीवाल की याचिका मंजूर करते हुए दिया.
जानिए मामले की इनसाइड स्टोरी
हाईकोर्ट ने कहा- 'एसीबी कोर्ट के आदेश की पालना में जांच अधिकारी ने एफआर में कहा है कि प्रार्थी पर कोई अपराध नहीं बना. राज्य सरकार और एसीबी के तत्कालीन एसपी ने भी कोर्ट में अर्जी दायर कर केस वापस लेने का आग्रह किया है. शिकायतकर्ता केस की कार्रवाई प्रार्थी के खिलाफ नहीं चलाना चाहता. ऐसे में हाईकोर्ट की राय है कि प्रार्थी पर कार्रवाई जारी रखना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है. इसलिए धारीवाल के खिलाफ एसीबी कोर्ट के 18 अप्रैल 2022 के आदेश की पालना में की गई कार्रवाई रद्द किए जाने योग्य है.'
हाईकोर्ट में धारीवाल के एडवोकेट एसएस होरा ने बताया कि 3 दिसंबर 2014 की FIR में प्रार्थी का नाम नहीं है. एसीबी कोर्ट ने चार्जशीट के बाद धारीवाल पर संज्ञान नहीं लिया. ना ही एसीबी की पूरक चार्जशीट में धारीवाल को आरोपी बनाया गया. केस दर्ज हुआ तब धारीवाल यूडीएच मंत्री थे, लोक सेवक की परिभाषा में आते थे, उनके खिलाफ राज्य से अभियोजन की मंजूरी नहीं ली गई थी.
निचली कोर्ट ने 18 अप्रैल को सरकार और एसीबी की क्लोजर रिपोर्ट नहीं मानी और फिर से जांच का निर्देश दिया, जो गलत है. केस वापस लेने की सरकार की अर्जी भी खारिज कर दी, जो गलत है. परिवादी रामशरण सिंह के अधिवक्ता अनिल चौधरी ने कहा कि उसने एसीबी कोर्ट में अर्जी दी है कि अब केस को आगे नहीं चलाना चाहता. उसे प्रार्थी की याचिका स्वीकारने में आपत्ति नहीं है.
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![अनिल चमड़िया](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/4baddd0e52bfe72802d9f1be015c414b.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)