Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट ने वकील के थप्पड़ मारने वाले कांस्टेबल पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. दरअसल कोर्ट ने अवमानना के एक मामले का निस्तारण करते हुए गवाही के दौरान बचाव पक्ष के वकील को थप्पड़ मारने पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराने का आदेश दिया है. साथ ही कहा कि वह बगैर किसी शर्त के कोर्ट में अपना माफीनामा पेश करें. भीलवाड़ा जिले के गुलाबपुरा के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज की कोर्ट में वर्ष 2018 में यह घटनाक्रम हुआ था. उनकी तरफ से ही अवमानना का मामला हाईकोर्ट में पेश किया गया था.
कांस्टेबल ने यह कहते हुए अपने कार्यों का बचाव किया था कि बचाव पक्ष के वकील ने सुनवाई से पहले उस पर दबाव डाला और उसे धमकाया और सुनवाई के दौरान, वह अपने पैरों को मारता रहा. कांस्टेबल के खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज किया गया था, जिसे इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि 228 आईपीसी की कार्रवाई के बाद से तत्काल अवमानना की कार्यवाही को छोड़ दिया जाना चाहिए. हालांकि, सुनवाई के दौरान, कांस्टेबल ने अदालत से उसकी बिना शर्त माफी को स्वीकार करने का अनुरोध किया और यह भी कहा कि वह बचाव पक्ष के वकील के खिलाफ 156 (3) सीआरपीसी में दायर अपनी शिकायत को छोड़ने के लिए तैयार है.
बिना शर्त मांगी माफी
जस्टिस विजय बिश्नोई और जस्टिस फरजंद अली की बेंच ने रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री का उल्लेख किया और कहा कि यह एक स्वीकृत तथ्य है कि कांस्टेबल (अवमानना करने वाले) ने बचाव पक्ष के वकील को थप्पड़ मारा. अदालत ने आगे कहा कि कांस्टेबल ने यह कहकर अपने कार्यों को सही ठहराने की कोशिश की कि वकील ने उसे पहले लात मारी लेकिन यह साबित नहीं हुआ और न ही अदालत ने इसे आश्वस्त किया. हालांकि, यह ध्यान देने के बाद कि अवमाननाकर्ता अपने बचाव पर दबाव नहीं डालना चाहता है और उसने बिना शर्त माफी मांगी है, अदालत ने धारा 228 आईपीसी से संबंधित कार्रवाई को छोड़कर कथित अपराध को रद्द कर दिया. अदालत ने अवमानना करने वाले को 25 हजार रुपये डीएलएसए में जमा करने का निर्देश दिया.
यह है पूरा मामला
दरअसल, गुलाबपुरा के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज की ओर से पेश की गई याचिका के अनुसार बचाव पक्ष के वकील पुलिस कांस्टेबल रमेश कुमार से सवाल पूछ रहे थे. रमेश कुमार ने सवाल पूछे जाने के दौरान रमेश कुमार उत्तेजित हो गया और उसने वकील को थप्पड़ मार दी. इस कारण गवाह के बयान नहीं हो पाए और सुनवाई स्थगित करनी पड़ गई. कोर्ट की अवमानना करने वाले रमेश कुमार ने अपना बचाव करते हुए लिखित में अपना जवाब पेश किया. उसका कहना था कि बचाव पक्ष का वकील उस पर अपने अनुसार बयान देने के लिए दबाव बना रहा था. वकील ने अपने अधिकार का फायदा उठाते हुए मेरे पांव पर लात मारी. इससे मेरे पांव में जोरदार दर्द हुआ और इसकी प्रतिक्रिया में मैने धीरे से उसे थप्पड़ मार दी.
अवमानना के इस मामले में रमेश कुमार ने दो बार कोर्ट से अपील की कि उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 228( न्यायिक प्रक्रिया के दौरान पब्लिक सर्वेंट काअपमान करना) को ड्रॉप किया जाए. हालांकि बाद में उसकी तरफ से कहा गया कि वह बगैर किसी शर्त के माफी मांगने को तैयार है. ऐसे में उसके खिलाफ यह मामला ड्रॉप कर दिया जाए.
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