Rajasthan Congress Crisis: एक बार फिर 91 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे का मुद्दा सामने आने वाला है, क्योंकि विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की जनहित याचिका पर राजस्थान हाइ कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर और सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस वीके भारवानी की बेंच ने यह आदेश दिया है. ऐसे में फिर से यहां की राजनीति में हलचल तेज हो गई है. क्योंकि राजेंद्र राठौड़ अब खुलकर इस मामले को उठा रहे हैं और कोर्ट में इस मामले की पैरवी भी कर रहे हैं. मंगलवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष से 3 सप्ताह में जवाब मांगा है.


1 दिसंबर को दायर की गई थी पीआईएल 
1 दिसम्बर को राजेंद्र राठौड़ ने खुद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उन्होंने ट्वीट किया था कि 'राजस्थान स्पीकर द्वारा कांग्रेस सरकार समर्थित 91 विधायकों के सामूहिक त्यागपत्र पर 2 माह पश्चात् भी कोई निर्णय नहीं लेने पर आज मैंने माननीय उच्च न्यायालय में PIL दायर की है ताकि इस मामले पर शीघ्र निर्णय हो सके व राज्य के राजनीतिक संकट पर संवैधानिक स्थिति स्पष्ट हो सके.' तभी से यह मामला तूल पकड़ा हुआ है. इसके बाद भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां ने ट्वीट किया था कि कांग्रेस विधायकों के इस्तीफ़ों के मुद्दे पर दायर PIL राज्य में छायी राजनीतिक अस्थिरता और लोकतंत्र की अक्षुण्णता के लिए एक जागरूक पहल है, आशा है कि कांग्रेस भी अपनी स्थिति स्पष्ट करेगी और विधानसभा अध्यक्ष भी योग्य संज्ञान लेंगे.


18 अक्टूबर से हुए हैं एक्टिव
याचिका के अनुसार कांग्रेस के 91 विधायकों ने गत 25 सितंबर को विधानसभा स्पीकर को अपने इस्तीफे सौंपे थे. 18 अक्टूबर, 19 अक्टूबर, 12 नवंबर और 21 नवंबर को राजेंद्र राठौड़ ने स्पीकर को प्रतिवेदन देकर दिए गए इस्तीफे को लेकर निर्णय करने का आग्रह किया. कहा गया है कि स्पीकर ने इन इस्तीफों पर कोई निर्णय नहीं किया. राठौड़ ने कहा है कि यदि कोई विधायक इस्तीफा स्वयं पेश करता है तो विधानसभा प्रक्रिया नियम 173 के तहत स्पीकर के पास इस्तीफा स्वीकार करने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं होता. सिर्फ इस्तीफा स्वैच्छिक और जेन्युइन है या नहीं, को लेकर ही जांच की जा सकती है. इस मसले पर राजेंद्र राठौड़ डटे हैं.


यह था मामला
25 सितम्बर 2022 को जयपुर में कांग्रेस के 91 विधायकों के इस्तीफे की खबर सामने आई थी. उस दौरान खुद कई विधायकों ने कहे थे कि उन्होंने स्वेक्षा से इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा दिया था. तभी से विपक्ष हमलावर है. और अब दो महीने बीत जाते के बाद कोई कार्रवाई न होने पर और भी मामला तूल पकड़ रहा है.


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