Udaipur News: राजस्थान के झीलों की नगरी उदयपुर में झीलों को प्रदूषण से मुक्त करने की लंबे समय से चल रही मांग पूरी हुई है. हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए आदेश दिया है कि 6 माह के अंदर सभी नावे बैट्री और सोलर से संचालित की जाए. इस आदेश के बाद झील प्रेमी और शहरवासियों खुशी छाई. इसके पीछे कारण है कि पिछोला झील का पानी शहरवासियों के पीने के काम आता है, वहीं झील प्रेमी झीलों को प्रदूषण मुक्त चाहते है जिससे जलीय जीवों की मौत ना हो.


जोधपुर हाईकोर्ट ने नाव संचालन के साथ ही झीलों की सीमा का संरक्षण भी राजस्थान झील प्राधिकरण एक्ट-2015 के तहत किया जाने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए नगर निगम और यूआईटी को इस संबंध में शपथ पत्र भी देने को कहा है. 


अभी यह स्थिति
परिवहन विभाग के अनुसार अभी पीछोला झील में 78 फतहसागर झील में 18 का संचालन हो रहा है. इनमें से अधिकांश पेट्रोल से चल रही हैं और कुछ नावों को लेकर आरोप भी लगते रहे हैं कि डीजल से भी संचालन हो रहा है. झील प्रेमियों का कहना है कि इस प्रकार की नाव से पानी मे प्रदूषण फैलता है, जिससे जलीय जीवों की मौत होती है. आदेश की पालना में निगम और यूआईटी की ओर से पेश किए जाने वाले शपथ पत्र के बाद यह लगभग तय हो जाएगा कि नावों में बदलाव नहीं किया तो वे झील से बाहर हो जाएंगी. कोर्ट ने अपने सख्त आदेश में यह भी कहा कि झीलों और उनके परिधि क्षेत्र में उन्हीं गतिविधियों की अनुमिति होगी जो झील प्राधिकरण एक्ट 2015 की सभी शर्तों को पूरा करती हैं. 


क्या कहते हैं झील प्रेमी
झील प्रेमी तेजशंकर पालीवाल, अनिल मेहता, महेश शर्मा सहित अन्य ने कोर्ट के आदेश को झीलों की दशा बदलने वाला बताया. पेट्रोल-डीजल से चलने वाले नावों को बंद करने की मांग कर रहे थे. झील संरक्षण को लेकर हुई बैठकों में भी कई बार यह मांग उठी थी. कोर्ट के आदेश से व्यवसाय का केंद्र बनी पीछोला और फतहसागर झील के संरक्षण की नई उम्मीद दिखी है. पेट्रोल-डीजल की नावों का संचालन बंद होने से जलीय जीव भी खुलकर सांस ले सकेंगे.


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