Rajasthan: राजस्थान हाईकोर्ट में सीबीआई ने रखा अपना पक्ष, संजीवनी जांच मामले में जवाब पेशकर जांच की मांगी इजाजत
Rajasthan High Court: संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी को 2010 में मल्टी स्टेट सोसाइटी के रूप में मान्यता मिली थी. जिसका कार्य क्षेत्र राजस्थान और गुजरात था.
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Sanjeevani Scam: राजस्थान हाईकोर्ट आदेश देता है तो केंद्रीय जांच ब्यूरो सीबीआई संजीवनी मल्टी स्टेट क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी प्रकरण में जांच करने को तैयार है. हालांकि इससे पहले वर्ष 2020 में दयार संजीवनी पीड़ित संघ की याचिका की सुनवाई के दौरान जवाब में सीबीआई ने सहमति नहीं जताई थी. केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की याचिका में सीबीआई ने हाल ही में अपना जवाब पेश किया है.
इस जवाब पर 30 सुनवाई प्रस्तावित है. माना जा रहा है कि इस दौरान विचार हो सकता है. शेखावत ने अपनी याचिका में मुख्य रूप से जांच के क्षेत्राधिकार का मामला उठाया था. तभी कहा था कि मल्टी स्टेट सोसाइटी होने के कारण इसकी जांच और नियमित जमा पर प्रतिबंध योजना अधिनियम 2019 के तहत की जानी चाहिए. जमाकर्ता मल्टी स्टेट स्टेटस होने के चलते अधिनियम के प्रावधान के अनुसार जांच सीबीआई को स्थानांतरित की जानी चाहिए. पूर्व में हाईकोर्ट ने 13 अप्रैल को शेखावत की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए राज्य और केंद्र सरकार से जवाब मांगा था.
सीबीआई इस मामले की जांच करने में है सक्षम
राजस्थान हाई कोर्ट में सीबीआई ने अब अपना जवाब पेश करते हुए कहा है कि पूर्व में 2020 की याचिका में जब जवाब पेश किया गया था, उसी दौरान गुजरात और मध्य प्रदेश में संजीवनी के खिलाफ दर्ज मामलों की जांच उसके पास नहीं थी. गुजरात से प्रतिबंध योजना अधिनियम 2019 के तहत सीबीआई को स्थानांतरित कर दी गई है. उसके बाद मध्य प्रदेश में भी ऐसा किया है. ऐसे में 2019 अधिनियम के प्रावधान स्थापित होता है. राजस्थान के सक्षम प्राधिकारी को एसओजी में लंबित जांच सीबीआई को हस्तांतरित करने की केंद्र को सिफारिश करनी चाहिए. सीबीआई इस मामले की जांच करने में सक्षम है. साथ ही सीबीआई ने स्पष्ट किया है कि हमारा कोई भी कदम हाईकोर्ट के आदेश पर निर्भर करेगा.
1090 करोड़ रुपए का ऋण भी मंजूर कर रखा था
संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी को 2010 में मल्टी स्टेट सोसाइटी के रूप में मान्यता मिली थी. जिसका कार्य क्षेत्र राजस्थान और गुजरात था समिति में 30 जून 2019 तक 2 लाख 14 हजार 472 निवेशको का 883 करोड़ 88 लाख रुपए जमा किये गए. इस तारीख तक 12 हजार 521 निवेशकों की राशि 16 करोड़ 32 लाख रुपए जो परिपक्व हो चुकी थी. जबकि समिति ने 1 जून 2019 के बाद किसी निवेशक को भुगतान नहीं किया, समिति ने 55 हजार 781 लोगों को 1090 करोड़ रुपए का ऋण भी मंजूर कर रखा था.
गजेंद्र सिंह ने गहलोत के विरुद्ध मामला दर्ज कराया था
जिसमें से करोड़ों का रुपए ओवरड्यू था. ऋण राशि भी नगद दी जाती थी. इस तरह हजारों निवेशकों का करोड़ रूपया हड़पने के आरोप में एसओजी जांच कर रही है. इस साल की शुरुआत में मुख्यमंत्री ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर संजीवनी घोटाले में संयुक्त होने का आरोप लगाए थे. उसके बाद केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विरुद्ध मानहानि का मामला दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में दर्ज कराया था. इस मामले में भी सुनवाई जारी है.
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