Rajasthan News: पहाड़ों पर अब कंपन्न और भूस्खलन से नहीं होंगे हादसे, बूंदी के इस स्कूल के छात्रों ने बनाया अनोखा उपकरण
Bundi: इस उपकरण को कक्षा 9-10 के चार छात्रों ने मिलकर बनाया है. यदि यह मॉडल सक्सेस होता है तो देश में पहाड़ी क्षेत्रों पर कंपन में भूस्खलन से होने वाले हादसों में कमी लाई जा सकेगी.
Bundi News: राजस्थान (Rajasthan) के बूंदी (Bundi) में मॉडल स्कूल के 4 छात्रों ने एक ऐसी डिवाइस बनाई है जो पहाड़ी क्षेत्रों में कंपन व भूस्खलन से होने वाले हादसों से बचाएगी तथा दुर्घटनाओं में कमी लाएगी. जिले के हिंडोली मॉडल स्कूल (Hindoli Model School) के 9वीं व 10वीं के 4 छात्रों ने इस पर एक मॉडल तैयार किया है जो कंपन और भूस्खलन (Landslide) का पता लगाएगा ताकि समय रहते वाहनों को सतर्क किया जा सके और दुर्घटना से रोका जा सके.
पहाड़ों पर सड़क हादसों में आएगी कमी
बता दें कि पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन में बड़ी घटनाएं होती हैं. रास्ते बंद होने से आवागमन बाधित हो जाता है. यदि छात्रों द्वारा तैयार किया गया यह मॉडल सक्सेस होता है तो देश में पहाड़ी क्षेत्रों पर कंपन में भूस्खलन से होने वाले हादसों में कमी लाई जा सकेगी.
प्रिंसिपल के मार्गदर्शन में तैयार की डिवाइस
जिले के हिंडोली मॉडल स्कूल के 10वीं कक्षा के छात्र काव्य जैन, महेश जांगिड़ और 9वीं कक्षा के हंसराज मीना और शौर्य यादव के दिमाग में जब इस तरह के प्रोजेक्ट तैयार करने का आइडिया आया तो उन्होंने अपने मेंटर लैब टेक्निशियन लेखराज वर्मा को बताया. स्कूल की ओर से डिवाइस सहित मॉडल को तैयार करने के लिए आवश्यक उपकरण मंगवाए गए. प्रिसिंपल डॉ. राजेंद्र निर्मल के मार्गदर्शन में इस मॉडल को बच्चों ने तैयार किया.
प्रोजेक्ट से जुड़ी बड़ी बातें
छात्रों ने बताया कि इस प्रोजेक्ट का निर्माण करने के पीछे का मूल उद्देश्य पहाड़ी क्षेत्रों में होने वाली दुर्घटनाओं को कम करना है. यह प्रोजेक्ट मूल रूप पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक घुमावदार ट्रैफिक एवं पहाड़ी भूस्खलन के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को कम करने में योगदान देगा. प्रोजेक्ट पहाड़ी क्षेत्रों में आने वाली दो मूल समस्याओं का समाधान करने में सहायक होगा. आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क पर अधिक घुमाव एवं पहाड़ों की अधिक ऊंचाई के कारण वाहन एक-दूसरे को देख नहीं पाते और और टकराव की स्थिति बन जाती है जिससे असंख्य दुर्घटनाएं घटती हैं और जानमाल की हानि होती है.
ऐसे करेगा काम
छात्रों ने बताया कि पहाड़ी पर कंपन व भूस्खलन की समस्या का समाधान करने के लिए हमने इस प्रोजेक्ट में अल्ट्रासोनिक सेंसर का प्रयोग किया है जो आने वाली गाड़ियों को डिटेक्ट करता है और इनपुट सिग्नल ऑर्डिनो माइक्रोकंट्रोलर को भेजता है. आडिंनो सूचना को प्रोसेस करके आउटपुट के रूप में बजर, एलईडी, सर्वो मोटर को चालू/बंद करता है.
यह प्रोजेक्ट अधिक घुमावदार सड़क पर दोनों तरफ से आने वाली गाड़ियों को सचेत करेगा. जैसे ही गाड़ी अल्ट्रासोनिक सेंसर के नजदीक जाएगी, आर्डिनो माइक्रो कंट्रोलर द्वारा दूसरी तरफ की रेड (लाइट) एलईडी को चालू कर देगा और ब्रैकेट को बंद कर देगा. रेड एलईडी से दूर से आने वाले वाहन को पता चल जाएगा कि दूसरी तरफ से वाहन आ रहा है और वह सतर्क हो जाएगा.
प्रिंसिपल राजेंद्र निर्मल ने बताया कि हमारे छात्रों ने दूसरी तकनीक में वाइब्रेशन सेंसर का प्रयोग किया है जो पहाड़ों पर होने वाले भूस्खलन के वाइब्रेशन को डिटेक्ट करेगा और रेड एलईडी व बजर को ऑन कर देगा, जिससे आने वाले वाहन सतर्क हो जाएंगे और दुर्घटनाओं को रोका जा सकेगा.
चारों बच्चे पहले भी दिखा चुके हैं अपनी प्रतिभा
इस प्रोजेक्ट में शामिल रहे चारों बच्चे काभी प्रतिभावान हैं. छात्र शौर्य यादव अहमदाबाद के इसरो ट्रेनिंग एवं रिसर्च सेंटर में 15 दिन की ट्रेनिंग लेकर आ चुके हैं. वहीं, काव्य जैन इंस्पायर्ड अवॉर्ड विजेता हैं. महेश जांगिड़ अंतरराष्ट्रीय संस्कृत ऑलिंपियाड में विजेता रह चुके हैं और हंसराज मीना राज्य स्तरीय विज्ञान मॉडल प्रदर्शनी में भाग ले चुके हैं.
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