Udaipur News: हिंदू धर्म का सबसे बड़ा पर्व दीपावली को अभी कुछ ही दिन रह गए हैं. ऐसे में देशभर के महालक्ष्मी मंदिरों में भी तैयारियां शुरू हो चुकी है. ऐसा ही कुछ नजारा राजस्थान के मेवाड़ के सबसे प्राचीन उदयपुर शहर स्थित महालक्ष्मी मंदिर का भी है. उदयपुर का यह मंदिर 450 साल पुराना है जिसे महाराणा जगत सिंह ने बनवाया था. यह उदयपुर के सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध जगदीश मंदिर के समकक्ष बना है. मंदिर में स्थापित महालक्ष्मी की मूर्ति की खासियत भी है. इस मूर्ति की यह खासियत देश अन्य मूर्ति से अलग रखती है.


महालक्ष्मी की प्रतिमा कमल पर नहीं है विराजमान


इस मंदिर की देखरेख करने वाले श्रीमाली जाती संपति व्यवस्था ट्रस्ट के अध्यक्ष कन्हैयालाल त्रिवेदी ने बताया कि देशभर में जहां-जहां लक्ष्मी मंदिर है वहां श्रीमाली समाज की तरफ से ही सेवा पूजा की जाती है क्योंकि समाज की कुलदेवी है. उन्होंने दावा किया कि देशभर में जितने भी महालक्ष्मी मंदिर है वहां देवी महालक्ष्मी कमल पर विराजित है लेकिन उदयपुर के इस मंदिर में विराजित महालक्ष्मी की मूर्ति की बात करें तो हाथी पर विराजित हैं. इसलिए यह मूर्ति सबसे अलग है. 




 यह है इतिहास


कन्हैयालाल त्रिवेदी ने बताया कि महाराणा जगत सिंह के समय सबसे प्राचीन जगदीश मंदिर का निर्माण हुआ था. रानी ने राजा से कहा कि यहां जगदीश विराजित है तो लक्ष्मी क्यों नहीं. फिर रानी के कहने पर जगदीश मंदिर से कुछ ही दूर महकलक्ष्मी मंदिर को बनवाया. महालक्ष्मी की सफेद पत्थर की सुंदर प्रतिमा 31 इंच की है. साथ ही 4200 स्क्वायर फिट में मंदिर बनाया गया है. यह उदयपुर संभाग के एक मात्र महालक्ष्मी मंदिर है. 


दीपावली पर 125 वॉलेंटियर संभालेंगे व्यवस्था


कन्हैयालाल त्रिवेदी ने आगे बताया कि हर साल दीपावली पर 5 दिन का विशेष कार्यक्रम होता है. इस बार 22,23,24 अक्टूबर को भी विशेष आयोजन होगा. मंदिर के पूरे रास्ते पर लाइटिंग की जाएगी.  साथ ही इन तीन दिन तक वाहनों का प्रवेश बन्द रहेगा. यहीं नहीं अन्नकूट पर सूर्यग्रहण है इसलिए अगले दिन मनाया जाएगा जिसमें हर साल की तरह विशेष प्रसाद बनाई जाएगी. इस पूरी व्यवस्था को संभालने के लिए 125 वॉलेंटियर काम करेंगे.


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