Holi 2023: देशभर में होली दहन से एक महीने पहले होली (Holi 2023) का डंडा रोपने की परंपरा है. ऐसे में राजस्थान के कोटा (Kota) में माघ मास की पूर्णिमा यानी 5 फरवरी को होली का डंडा रोप दिया गया. हालांकि, अब अधिकांश जगह यह डंडा होलिका दहन के एक दिन पहले रोप कर खानापूर्ति की जाती है. जबकि असल में यह डंडा होली से ठीक एक महीने पहले 'माघ पूर्णिमा' को रोपा जाता है. होली के उत्सव का पहला काम होली का डंडा या डांडा चौराहे पर गाड़ना होता है. होली का डंडा एक प्रकार का पौधा होता है, जिसे सेम का पौधा कहते हैं.
इसके साथ ही लोगों को होली का डंडा रोपने के बाद मांगलिक काम करने के लिए मना किया जाता है, लेकिन ये शास्त्र सम्मत नहीं हैं. ज्योतिषाचार्य अमित जैन का कहना है कि होली के डंडा रोपने के बाद सभी मांगलिक कार्य मुहूर्त के अनुसार कर सकते हैं. इसमें विवाह, मुंडन, जनेऊ, गृह प्रवेश, भूमि पूजन आदि कार्य करना शुभ होता है. ये याद रहे की होली के आठ दिन पहले होलाष्टक में सभी मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं. इस बार होलाष्टक 27 फरवरी से 7 मार्च तक रहेगा. होलाष्टक के आठ दिनों में नवग्रह कमजोर रहते हैं.
रंगों और प्रेम का प्रतीक है होली पर्व
होली का त्योहार रंगों और प्रेम का प्रतीक है. इस दिन होलिका की आग में लोग अंहकार और बुराई को भस्म करते हैं. फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन होलिका दहन किया जाता है. इस बार होलिका दहन 6, 7 मार्च को किया जाएगा और 8 मार्च को रंग खेला जाएगा. वहीं कोटा में आदर्श होली व सरस्वती शारदा विकास समिति की होली प्रदेश में अपनी अलग ही पहचान रखती है. यहां से देशभर की घटनाओं का संदेश दिया जाता है.
बता दें कि करीब 50 साल से भी अधिक समय से यहां होली मनाई जा रही है. समिति के अध्यक्ष श्याम मीणा और संरक्षक एडवोकेट राजेन्द्र सिंह ने बताया की होली दहन के उपलक्ष में कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है और मनमोहक झांकियों की प्रदर्शनी लगाई जाती है. इस बार भी कुछ विशेष झांकियां आकर्षण का केन्द्र होगी.