Udaipur News: रंगों का त्यौहार होली के अब तीन दिन शेष रह गए हैं. होली फेस्टिवल हर क्षेत्र में अलग—अलग परंपरा के तहत मनाई जाती है. ऐसी ही एक अनोखी होली उदयपुर से 40 किलोमीटर दूर प्रसिद्ध जावर माता मंदिर में मनाई जाती है. यहां ऊंचे पेड़ पर चढ़कर युवक धान की पोटली (नेजा) उतारते है. जबकि गैर खेलती महिलाएं युवकों पर लट्ठ की बरसात करती है. इसमें युवकों को चोटें भी आती है. फिर भी परंपरा का निर्वहन करते हैं. इसमें सैकड़ों की संख्या में युवक एकत्र होते हैं. जानिए, उदयपुर की होली परंपरा में क्या है खास?


 उदयपुर जावर माता मंदिर के पुजारी गौतम लाल ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि नेजा लूटने की परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है. जावर माता मंदिर में आसपास के गांवों के लोग भी भाग लेते हैं. इसमें मांगी गई मन्नतें भी पूरी होती हैं. 


दरअसल, नेजा उतारने की परंपरा के तहत मंदिर के सामने ऊंचे सेमल के पेड़ पर 30 फीट की ऊंचाई पर लाल कपड़े में चावल, गेंहू, नारियल बांधकर रख जाते हैं. सुबह मंदिर में माताजी की आरती होती है और फिर महिलाएं गैर खेलती हैं. महिलाएं हाथ में तलवार, लट्ठ लेकर ढोल और कुंडी की थाप पर थिरकते हुए गैर नृत्य करती हैं. इसी दौरान नेजा लूटने की परंपरा के तहत सैकड़ों युवक पेड़ की तरफ भागते हैं. तब महिलाएं नेजा लूटने वालों पर बांस के डंडे बरसाती हैं. 


तीन गांवों के लोग नेजा बांधते और उतारते हैं


नेजा लूटने की परंपरा के तहत आसपास के 6 गांव के हजारों लोग शामिल होते हैं. इसमें 3 गांव के लोग नेजा बांधते है और तीन उतारते हैं. जब युवक पेड़ पर चढ़ते हैं तो सेमल पेड़ पर लगे कांटे चुभते हैं, जिससे उनके चोटें लगती है. यहीं नहीं सैकड़ों युवक एक ही पेड़ पर चढ़ते हैं जिससे एक दूसरे की टांग खींचकर नीचे धकेलते हैं. ऐसे में आखिर में जो ऊपर चढ़ जाता हैं वह विजेता घोषित होता है. खास बात यह है कि इतनी भिड़ में भी कोई झगड़ा नहीं होता है. आदिवासियों की इस अनोखी परंपरा के पीछे यह भी कहा जाता है कि जिस गांव के लोग नेजा को उतारता है, उसे गांव में साल भर खुशहाली बनी रहती है. 


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