राजस्थान में विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही समाज संगठनों की मांगे बढ़ती जा रही है. कई समाज और संगठन लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. कोई आरक्षण की मांग कर रहा है तो कोई राज्य सरकार की घोषणाओं का विरोध कर रहा है. ऐसे में शुक्रवार को सैकड़ों की संख्या में आदिवासी समाज से लोग अपनी मांग को लेकर जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे.


इससे पहले उन्होंने शहर के नगर निगम मैदान में सभा की और उसके बाद रैली के रूप में निकलकर कलेक्ट्रेट पहुंचे. यहां भी सभा की और अपनी मांगों को पुरजोर तरीके से उठाया है. फिर मांग का ज्ञापन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम का जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल को दिया. जानते हैं क्या है मांग.


उदयपुर बना था प्राधिकरण, इसी का विरोध

 

पिछले माह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उदयपुर नगर विकास प्रन्यास को उदयपुर विकास प्राधिकरण कर दिया था. इसकी घोषणा पहले ही की जा चुकी थी. अब हुआ यू कि इसमें नगर विकास प्रन्यास ने उदयपुर के आसपास के 130 गांव आते थे जहां प्रन्यास विकास के कार्य करवाता थे, अब प्राधिकरण बनने के बाद दायरा बढ़कर 280 गांवों तक पहुंच गया है. कई पंचायत इसमें शामिल हो गई. अब आदिवासी समाज का विरोध है कि प्राधिकरण में गांवों को शामिल नहीं किया जाए और इसका दायरा सीमित ही रखा जाए.

 

अब जानिए प्राधिकरण के बढ़ते दायरे का विरोध क्यों

 

प्रदर्शन करने आए लोगों का कहना है कि आदिवासी विकास के विरोधी नहीं है लेकिन प्राधिकरण के नाम से विस्तारीकरण किया जा रहा है यह असंवैधानिक है.

 

सुप्रीम कोर्ट के भी जजमेंट है जिसमें ग्राम सभाओं को पावर दिए गए हैं. पैसा एक्ट भी ग्राम सभा को विस्तारीकरण के लिए बनाया गया. ऐसे में राज्य सरकार किसी भी एक्ट को लेकर इनका विस्तार नहीं कर सकती है. उदयपुर से सटी 55 ग्राम पंचायतों के लोग इसके विरोध में हैं. सरकार सिर्फ अपने वोट बैंक के खातिर कर रही है. ग्राम पंचायत के जो पावर है वह रहने चाहिए.