IIT Jodhpur News: जोधपुर आईआईटी के रिसर्चर ने भविष्य में ईंधन की कमी और बढ़ती कीमतों को देखते हुए एक महत्वपूर्ण रिसर्च किया है. इस रिसर्चर में लैंथेनाइड्स आधारित पेरोव्स्काइट नैनोकम्पोजिट कैटेलिटिक मटीरियल्स तैयार किया गया है. यह आर्टिफिशियल फोटोसिंथेसिस से बिना किसी ईंधन के अधिक हाइड्रोजन का उत्पादन करता हैं जिससे आने वाली पीढ़ी को फायदा मिलेगा और पर्यवरण भी शुद्ध रहेगा.
देशभर में नए-नए अविष्कार के लिए देश की संस्थाएं अपने-अपने स्तर पर शोध कार्य में जुटी है. इसी कड़ी में जोधपुर आईआईटी संस्थान ने आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम बढ़ा दिया है. आईआईटी जोधपुर के रिसर्चर ने वर्तमान में बढ़ते ईंधन के दाम के बीच आमजन के बजट को स्थिर करने वाली खोज की है. आईआईटी के रिसर्चर ने सस्ते इंजन के विकल्प की खोज कर एक नया करिश्मा कर दिखाया.
सूरज की रोशनी का किया उपयोग
आईआईटी जोधपुर के रिसर्चर ने इस पेटेंट पद्धति में सूरज की रोशनी से पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में बदला है. इसमें एक सस्ता सरल ट्रांजिशन मेटल और इसी पर आधारित रीसाइकिलेबल कैटालिस्ट का उपयोग किया गया है. इससे हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और यह हाइड्रोजन उद्योग जगत, ऑटोमोबाइल और ऊर्जा क्षेत्र में उपयोगी साबित होगी. रिसर्चर सदस्यों की टीम ने कैटेलिटिक की सीरीज विकसित की, जिससे सामान्य तौर पर हाइड्रोजन उत्पादन करने में सफलता मिलेगी. इस शोध का सीधा फायदा उद्योग जगत, ऑटोमोबाइल क्षेत्र को मिलेगा. आईआईटी जोधपुर की टीम द्वारा विकसित इस टेक्नोलॉजी में सूरज की रोशनी के अलावा किसी बाहरी ऊर्जा स्रोत की जरूरत भी नहीं रहेगी.
आईआईटी जोधपुर के इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के मुख्य परीक्षक रसायन विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ राकेश के शर्मा का कहना है कि ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए संस्था ने 100 से अधिक पेटेंट को विकसित किया. उन्होंने कहा कि यह हमारी अगली पीढ़ी की खुशहाली के लिए इनोवेशन का नया आयाम है. इस शोध का सीधा फायदा उद्योग जगत के साथियों, ऑटोमोबाइल और ऊर्जा क्षेत्र को बहुत बड़े पैमाने पर मिल सकता है.
प्रदूषण पर नियंत्रण होगा
आईआईटी जोधपुर की शोध टीम सूरज की रोशनी में अधिक हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ावा देने वाले 100 से अधिक कैटालिस्ट कंबीनेशन का परीक्षण कर चुकी है. कैटालिस्ट के पांच सेट विकसित किए गए हैं. यह कैटालिस्ट कचरा, पानी, खारा पानी और गंदा पानी के साथ अपना काम करता है. यह रीसाइकिलेबल है और कई बार उपयोग किया जा सकता है.
आईआईटी जोधपुर की रिसर्चर टीम ने इस शोध को भविष्य को ध्यान में रखते हुए किया है इससे सामान्य परिवेश में हाइड्रोजन उत्पादन करने में सक्षमता मिलेगी. ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन की यह प्रक्रिया सरल है और सूरज की रोशनी के वाइड स्पेक्ट्रम पर सफलतापूर्वक काम करती है. इसमें हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए किसी ऊर्जा स्रोत की जरूरत नहीं है. इस तरह तैयार ग्रीन हाइड्रोजन अधिक सस्ता और शुद्ध होने से वाहनों में सीधे इंधन के रूप में इसका उपयोग बढ़ेगा. इसके परिणाम स्वरूप प्रदूषण भी कम रहेगा.