Rajasthan News: विवादों में शहरी रोजगार गारंटी योजना की भर्ती, मानदेय पर ग्रामीण कार्मिकों ने जताया एतराज
शहरी रोजगार गारंटी योजना में कार्मिकों को पुराने से दो गुना अधिक मानदेय प्रस्तावित है. जबकि दोनों योजनाओं में कर्मचारियों के पद, योग्यता, कार्य की प्रकृति एक जैसी है. दोनों में ही भर्ती संविदा पर है.
Indira Gandhi Sheri Rojgar Guarantee Yojana Bharti 2022: राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की महत्वकांक्षी इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना पर विवाद छिड़ गया है. शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत विभिन्न पदों पर की जा रही भर्ती के मानदेय में अंतर है. वर्षों से ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में सेवाएं दे रहे कर्मचारियों ने नाराजगी जताई है. दोनों रोजगार गारंटी योजनाओं का संचालन राज्य सरकार कर रही है.
एक ही रोजगार गारंटी योजना, मानदेय में भारी असमानता
शहरी रोजगार गारंटी योजना में कार्मिकों को पुराने से दो गुना अधिक मानदेय प्रस्तावित है. जबकि दोनों योजनाओं में कर्मचारियों के पद, योग्यता और कार्य की प्रकृति एक जैसी है. दोनों में ही भर्ती संविदा पर है. प्रदेश में ग्रामीण मनरेगा की तर्ज पर शहरी रोजगार गारंटी योजना शुरू की गई थी. लेखा सहायक, कनिष्ठ तकनीकी सहायक, एमआइएस मैनेजर, डाटा एंट्री ऑपरेटर, शहरी रोजगार सहायक, कंम्प्यूटर ऑपरेटर विद मशीन, सहायक कार्यक्रम अधिकारी और सहायक कर्मचारी पदों पर भर्ती निकाली गई.
पंचायती राज में पुराने कार्मिकों में से कुछ तो 16 साल से काम कर रहे हैं. पुराने कार्मिकों के मानदेय में नाममात्र बढ़ोतरी हुई है जबकि 'शहरी मनरेगा' में नव नियुक्त कार्मिकों का मानदेय दोगुना तय किया गया है. संविदा कर्मचारियों के मानदेय में बढ़ोतरी पर पिछले 35 दिनों से धरना चल रहा है. मनरेगा कार्मिक संघर्ष समिति के नेता सुधाकर जैन का कहना है कि प्रदेश में नरेगा की शुरुआत 2006 में हो गई थी.
बाद में 2 अक्टूबर, 2009 में योजना को मनरेगा में परिवर्तित कर दिया गया. प्रदेश में आठ हजार से अधिक संविदा कर्मचारी वर्ष 2006 से 2008 के बीच लगे हुए हैं. संविदा कर्मचारियों का 7 हजार से लेकर 15 हजार के बीच मानदेय है. बीच में 5 से 10 फीसदी बढ़ोतरी की गई बढ़ती महंगाई में ऊंट के मुंह में जीरा के समान है. लेकिन शहरी योजना में नए कार्मिकों को अभी से दो गुना मानदेय प्रस्तावित है.
इंदिरा गांधी रोजगार गारंटी योजना शहरी क्षेत्र के लिए है. योजना का संचालन स्थानीय निकाय निदेशालय करेगा और नोडल एजेंसी नगरपालिका होगी. जबकि नरेगा केंद्र सरकार की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 2006 में शुरू की गई थी. नरेगा का संचालन पंचायत राज व ग्रामीण विकास विभाग और नोडल एजेंसी पंचायत समिति है.
ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के कार्मिकों में पसरा गुस्सा
ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के कई कार्मिक शहरी रोजगार योजना में जाने का प्रयास करने लगे हैं. इससे भविष्य में ग्रामीण योजना के लिए कार्मिकों की कमी आ सकती है. एक ही रोजगार गारंटी योजना होने के बावजूद शहरी-ग्रामीण कार्मिकों के मानदेय में भारी असमानता से पंचायती राज कार्मिकों में गहरा आक्रोश है.
शहरी रोजगार गारंटी में मानदेय
सहायक कार्यक्रम अधिकारी-40,000
रोजगार सहायक-15000
कनिष्ठ तकनीकी सहायक-30,000
लेखा सहायक-25000
कम्प्यूटर ऑपरेटर -10,000
एमआईएस मैनेजर-25000
प्रोग्रामर-40000
ग्रामीण रोजगार गारंटी में मानदेय
सहायक कार्यक्रम अधिकारी-22,000
रोजगार सहायक-7300
कनिष्ठ तकनीकी साहयक-11,000
लेखा सहायक-8000
कम्प्यूटर ऑपरेटर विद मशीन-7400
एमआईएस मैनेजर-10,000
प्रोग्रामर-14000