Rajasthan News: राजस्थान की मोलेला आर्ट के लिए इंटरप्रिटेशन सेंटर की कवायद, जल्द शुरू होगा काम
मोलेला आर्ट से जुड़े लोगों को एक प्लेटफॉर्म देने और प्रमोशन करने के लिए सेंटर बनाया जा रहा है. राज्य सरकार की बजट घोषणा के बाद काम आगे बढ़ाया है. इसके लिए जमीन भी देख ली गई है और जल्द काम शुरू होगा.
Rajasthan News: राजस्थान कला और शिल्प का प्रदेश है. यहां की कई कलाकृति देश दुनिया में नाम कमा चुकी है. मोलेला आर्ट बनाने वाले पद्मश्री से सम्मानित हो चुके हैं. कलाकार स्थानीय चिकनी मिट्टी से शिल्प बनाते हैं. मोहन लाल कुम्हार वर्ष 2012 में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से पद्मश्री सम्मान हासिल कर चुके हैं. मोलेला आर्ट को आगे बढ़ाने के लिए कोई प्लेटफॉर्म नहीं था. लेकिन अब इसकी चिंता भी दूर हो गई है. राज्य सरकार ने बजट घोषणा में मोलेला आर्ट के लिए राशि स्वीकृत की है.
मोलेला आर्ट को मिला प्लेटफॉर्म
पर्यटन और पुरातत्व विभाग ने इसके लिए जमीन देख ली है और जल्द ही काम शुरू कर दिया जाएगा. उदयपुर रेलवे स्टेशन से लेकर कई कार्यालयों में मोलेला आर्ट की झांकी देखी जा सकती है. उदयपुर से 50 किमी दूर मोलेला राजसमन्द जिले में एक गांव है. गांव को 'कुम्हार गांव' के नाम से भी जाना जाता है. इस आर्ट का पूरा नाम मोलेला टेराकोटा है. मिट्टी के बर्तनों से ताल्लुक रखने वाले करीब 40 परिवारों की बस्ती रहती है और गांव में रहने वाले लगभग हर कुम्हार ने मोलेला टेराकोटा बनाने की कला में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है. खास बात है कि आर्ट स्थानीय चिकनी मिट्टी से बनता है.
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जानिए क्या है मोलेला आर्ट ?
कलाकार मिट्टी से दीपावली के दीए, श्रीनाथजी, महाराणा प्रताप, हाथी, घोड़े, बेल, दीपक स्टैंड, गणेश, घंटियां, लोक देवता आदि के मृण शिल्प बनाते हैं. शिल्पकार गीली चिकनी मिट्टी को विभिन्न सांचों में ढालते हैं. बाद में चाक के साथ ही औजारों से शिल्प को सजाया संवारा जाता है. फिर भट्टी लगाकर 600-700 डिग्री की आंच में पकाया जाता है जिससे और भी अधिक मजबूत हो जाता है. पकने के बाद टेराकोटा कलर, चुने और अन्य रंगों का उपयोग करते हुए इसे आकर्षक बनाया जाता है.
अधिकारियों ने बताया कि मोलेला आर्ट की बनी वस्तुओं को खरीदने के लिए कई लोग दुकानों पर जाते हैं. गांव के लोग एजेंट के जरिये ही व्यापार करते हैं. इंटरप्रिटेशन सेंटर बनने से गांव के लोगों को एक प्लेटफॉर्म मिलेगा. यहां से वस्तुओं का प्रमोशन होगा ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस आर्ट को जानें. पर्यटन विभाग की उपनिदेशक शिखा सक्सेना ने बताया कि इस आर्ट से जुड़े लोगों को एक प्लेटफॉर्म देने और प्रमोशन करने के लिए सेंटर बनाया जा रहा है. राज्य सरकार की बजट घोषणा के बाद काम आगे बढ़ाया है. इसके लिए जमीन भी देख ली गई है और जल्द काम शुरू होगा.