(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Rajasthan News: इस IPS अफसर की 5 साल से एक ही पद पर है तैनाती, दारिया एनकाउंटर के बाद सुर्खियों में आए
IPS A Ponnuchami: आईपीएस ए पोन्नूचामी अपने 28 साल की सर्विस के दौरान 5 साल निलंबित रहे और एक बार एपीओ बनाए गए.साल 2009 में उन्हें पुलिस मेडल से सम्मानित किया गया. संभवत: इसी पद से रिटायर भी हो जाएंगे.
Story Of IPS A Ponnuchami: अमूमन पुलिस महकमे में ज्यादा लंबे समय तक कोई एक पद पर नहीं रहता. अपराधों की रोकथाम में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए बड़े अधिकारियों से लेकर छोटे कर्मचारियों तक के तबादले समय-समय पर होते रहते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि राजस्थान में तैनात एक आईपीएस ऐसे हैं जो पिछले करीब पांच साल से एक ही पद पर तैनात हैं. संभवत: इसी पद से रिटायर भी हो जाएंगे. हम बात कर रहे हैं आईपीएस ए पोन्नूचामी (IPS A Ponnuchami) की.
कौन हैं आईपीएस ए पोन्नूचामी
59 वर्षीय आईपीएस ए. पोन्नूचामी मूलत: तमिलनाडु से हैं. अभी राजस्थान पुलिस महकमे में एडीजी आवासन पद पर तैनात हैं. ट्रेनिंग के बाद उनकी पहली नियुक्ति वर्ष 1994 में गंगानगर एडिशनल एसपी पद पर हुई थी. इसके बाद जयपुर, बांसवाड़ा, भरतपुर, झुंझुनू, करौली, बीकानेर में एसपी रहे. राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो में डीआईजी और आईजी पद पर भी रहे हैं. वर्ष 2009 में उन्हें पुलिस मेडल से सम्मानित किया गया. 28 साल की सर्विस के दौरान 5 साल निलंबित रहे, एक बार एपीओ किए गए.
दारिया एनकाउंटर मामले से आए चर्चा में
राजस्थान के बहुचर्चित दारिया एनकाउंटर मामले के बाद आईपीएस ए. पोन्नूचामी का नाम चर्चा में आया. 16 साल पहले, 23 अक्टूबर 2006 को जयपुर में हुए मुठभेड़ में दारासिंह उर्फ दारिया की मौत हो गई थी. दारिया चूरू का रहने वाला कुख्यात बदमाश था, जिसके खिलाफ शराब तस्करी, अवैध वसूली, किडनैपिंग हत्या और लूट के करीब 50 मामले दर्ज थे.
एनकाउंटर को फर्जी मानते हुए इसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई थी. उस वक्त तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के निकट माने जाने वाले बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़, एडीजी पोन्नूचामी समेत 14 पुलिस अधिकारियों को सीबीआई जांच में दोषी माना गया था. 13 मार्च 2018 को अदालत ने फैसला सुनाकर सभी आरोपियों को बरी कर दिया था.
वसुंधरा राजे ने किया था बहाल
दारासिंह एनकाउंटर के बाद पोन्नूचामी को वर्ष 2011 में निलंबित कर दिया था. जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद करीब पांच साल बाद उन्हें बहाल किया गया. तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति की अनुशंसा के बाद बहाली की मंजूरी दी थी.