IPS Pankaj Chowdhary: राजस्थान पुलिस में 'सिंघम' कहे जाने वाले आईपीएस पंकज चौधरी ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए खुला पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने कई बातों का जिक्र किया है. आईपीएस पंकज चौधरी ने जब अशोक गहलोत सीएम थे तब भी आरपीएससी और पेपर लीक के मुद्दों को लेकर खुला पत्र लिखा था.
वहीं, अब सरकार बदलने के बाद एक फिर आईपीएस पंकज चौधरी ने अशोग गहलोत के नाम खुला पत्र लिख दिया है. साल 2009 बैच के आईपीएस अफसर पंकज कई जिलों में एसपी रह चुके हैं. फिलहाल अभी पंकज चौधरी सामुदायिक पुलिस के पुलिस अधीक्षक हैं. आईपीएस पंकज चौधरी ने लिखा कि "महोदय, इस महत्वपूर्ण पत्र के माध्यम से कुछ बिंदुओं की तरफ आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा."
उन्होंने लिखा कि "पत्र की जरूरत इसलिए है कि आपके पिछले कार्यकाल में पांच मिनट व्यक्तिगत मिलने का समय मांगा गया था, लेकिन आपके इर्द-गिर्द महानुभावों की टोली ने यह संभव होने नहीं दिया. इन पांच मिनट की मुलाकात में जो द्विपक्षीय संवाद संभव था, वह नहीं हुआ ऐसे में यह खुला पत्र लिखना पड़ रहा है."
पंकज चौधरी ने लगाया ये आरोप
पंकज चौधरी ने बताया कि "सबसे पहले आपका ध्यान आपके दूसरे सीएम कार्यकाल में साल 2012 बांसवाड़ा ASP के पद पर पदस्थापित रहने के दौरान तत्कालीन बांसवाड़ा विधायक अर्जुन बामानिया को लगभग 2000 लोगों ने किडनैप कर लिया था. जान जोखिम में डाल तत्कालीन गृह राज्य मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल और आला अधिकारियों के निर्देशानुसार तत्काल टीम के साथ मौके पर पहुंचा और किसी प्रकार से विधायक को रेस्क्यू किया गया.
उन्होंने कहा कि "कई थानाधिकारी के हाथ-पैर टूटे और मेरी गाड़ी पर अटैक हुआ. ये तो पहली घटना रही जब विभाग ने उत्कृष्ट कार्य के लिए गैलेंट्री देने का विचार रखा पर आपके द्वारा नजर अंदाज किया गया. खैर बांसवाड़ा के बाद जैसलमेर एसपी के कार्यकाल में तथाकथित गाजी फकीर की हिस्ट्री नियमानुसार बिना किसी दबाव और बिना किसी लालच के खोली. तत्कालीन पोखरण विधायक सालेह मोहम्मद पर एक जवान को जान से मारने की धमकी देने के आरोप में FIR दर्ज की गई."
"इस घटना का जिक्र इसलिए जरूरी है कि मात्र 48 घंटे में आपके कुशल नेतृत्व ने मेरा पीटीएस किशनगढ़ तबादला प्रधानाचार्य के पद पर कर दिया गया. कई महीने लोग सड़कों पर रहे, देश-प्रदेश की मीडिया ने इस दुर्भावनापूर्ण तबादले को मुद्दा बनाया. इस दौरान आपके मन में मेरे प्रति निश्चित कुंठा और निराशा पैदा हुई. जिसका कोई विधिक आधार या तकनीकी पक्ष नहीं रहा."
पारिवारिक मुद्दा उछालकर किया बदनाम- पंकज चौधरी
"खैर सरकार बदली आपके निर्देशन में बनाये गये, लाभ पहुंचाए गए कुछ नौकरशाहों ने आपके मन की कुंठा को दूर करने का जिम्मा लिया, मुझे घेरने का प्रयास किया जिसमें एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री ने पर्दे के पीछे से बखूबी भूमिका निभायी. कारण एक विशेष गठबंधन जो फेविकोल के जोड़ से भी मजबूत निकला जो बाद में प्रदेश और देश की आमजनता ने देख और समझ लिया."
"साजिश करने वाले लगातार प्रयास कर रहे थे. शीर्ष राजनीतिक संरक्षण मिल रहा था. चिन्हित किए गए साजिशकर्ताओं ने आखिर में एक पारिवारिक मुद्दा उछाल अवैध तरीके से सर्विस से बाहर कराने में कारगर हुए और आपकी और आपके तथाकथित गठबंधन वाली सहेली के कलेजे को ठंडक पहुंची."
उनका कहना है कि "यह विवाद कोर्ट कैंट जयपुर गया फिर मैटर जयपुर से नई दिल्ली ट्रांसफर हुआ. वहीं दो साल में न्याय हुआ और 2020 में सर्विस में लेने का आदेश पारित हो गया. अब फिर आपकी रहस्यमयी कुंठा आंड़े आयी और आपने राज्य के बड़े-बड़े नामी अधिवक्ताओं और प्रशासनिक और पुलिस के 'यस मैन' चिन्हित महानुभावों की टीम लगायी पंकज चौधरी दुबारा सर्विस में नहीं आना चाहिए."
"इसके लिए आपने पूरी ताकत न्यायालय में लगायी जो देखी भई गई. आपकी टीम ने दिल्ली हाई कोर्ट में फैसले के खिलाफ बेतुकी अपील की यहां से भी अपील खारिज हुई और गंभीर फटकार लगी. टीम सीएलपी में माननीय सुप्रीम कोर्ट गई. यहां भी एसएलपी खारिज हुई और अंतिम फटकार लगी. आपकी कुंठा अब चरम पर पहुंची और सुनियोजित तरीके से तीन-तीन न्यायालयों के आदेशों की अवमानना कराई गई, ताकि सर्विस में वापसी ना हो सके."
पंकज चौधरी ने लिखा कि "आखिर में कंटेम्प्ट लगा आखिर हार कर मजबूरन आपको मुझे सर्विस में लेना ही पड़ा और पोस्टिंग दी गई. सब ठीक चला फिर आपकी रहस्यमयी कुंठा फिर जागृत हुई कि कैसे फिर से साजिश करें. आपके द्वारा गठित नई टीम ने मार्गदर्शन में प्रयास शुरू किए और कुछ बेहद फर्जी और बेतुके चार्जशीट जारी कराया गया, जिसका कोई विधिक आधार नहीं सिर्फ एक फ्रस्ट्रेशन भर था."
'फर्जी एनकाउंटर करने वाले पुरस्कृत और ईमानदार से जलन'
"इस पत्र के जरिए आईपीएस पंकज चौधरी ने आनंदपाल सिंह एनकाउंटर की ओर इशारा करते हुए भी पूर्व सीएम अशोक गहलोत पर सवाल उठाए. हाल ही में सीबीआई कोर्ट ने इस एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए एनकाउंटर करने वाले अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके जांच के आदेश दिए थे."
इसे लेकर उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि 'आपका आखिरी मुख्यमंत्री कार्यकाल खत्म हुआ. राजनीतिक और उम्र के ढलान ने मार्ग दिखाना शुरू किया. कभी कभी सोचता हूं कि आपके कार्यकाल में सिस्टम की गलती से यदि कोई पदक या पुरस्कार मिल जाता तो निष्पक्षता कलंकित होती. कारण फर्जी एनकाउंटर करने वाले, दूषित अनुसंधान करने वालों को पदक और पुरस्कार लेते राजस्थान प्रदेश ने कई बार देखा है."
उन्होंने आगे लिखा कि "आईएएस छोड़ आईपीएस लिया सिर्फ सर्विस के लिए नहीं बल्कि एक मिशन के तौर पर चुना. पिछले 24 साल की कुल पांच नौकरियों से बहुत कुछ सीखा है अब और नहीं सीखना. इस पत्र से रहस्यमयी रोचक कुंठा को रेखांकित करने में जितनी संतुष्टि मिल रही है शायद आपके सिपहसलारों की तथाकथित मलाईदार पोस्टिंग को भी नहीं मिलती होगी. मैं आज तक रिसर्च कर रहा हूं कि आखिर ये मलाईदार पोस्टिंग क्या होती है? कौन लोग इसके लिए योग्य होते है?"
"इस पत्र के जरिए प्रदेशवासियों को जिम्मेदारी पूर्ण तरीके से आग्रह और स्पष्ट करना चाहूंगा कि इस प्रकार की रहस्यमयी व्यक्तिगत कुंठा रखने वाला जनप्रतिनिधि जिसको ईश्वर ने तीन बार प्रदेश की आठ करोड़ की आमजनता की सेवा का सुअवसर दिया, वो मात्र एक बेहद अदने से आईपीएस अधिकारी से कुंठित हो सकता है. जिसका कोई विधिक और तकनीकी आधार नहीं था. प्रदेश के यदि वास्तव में विकास और समृद्धि की कामना हो तो इस प्रकार के कोकस के प्रभाव में आने वाले संकीर्ण मानसिकता और दृष्टिकोण, फोबिया और मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति को मौका नहीं दिया जाना चाहिए."