IPS Pankaj Chowdhary: राजस्थान के सबसे चर्चित 2009 बैच के आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी (IPS PANKAJ CHOUDHARY) की वो बातें जो अभी तक कहीं नहीं सुनी होंगी. क्यों पंकज हमेशा में चर्चा में रहते हैं? आखिर उन्होंने पिछले महीने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलने के लिए पांच मिनट का समय क्यों मांगा था? दरअसल, पंकज चौधरी का कहना है कि "मैं दोबारा आईपीएस सर्विस में लौट आया था इसलिए सीएम से मिलना चाहता था. मुख्यमंत्री हमारे बॉस और मुखिया होते हैं, उनसे मिलना मेरा अधिकार है. इसलिए सीएम से समय मांगा था, कई बार प्रयास करने पर जब समय नहीं मिला तो चिट्ठी लिखनी पड़ी. इसके बाद भी सीएम से मिलने का समय नहीं मिला तो इसका कोई मलाल नहीं है." 


राजनीति में जाने की बड़ी वजह
दरअसल, 2019 में मुझे नौकरी से हटा दिया गया था. नौकरी जाने के बाद या तो मैं टूटकर इस रास्ते से हट जाता या लड़ता, तो मैंने खाली बैठने की तुलना में काम को बेहतर समझा. पंकज चौधरी का कहना है कि जब नौकरी से हटा दिया गया तो मैंने हार नहीं मानी. जोधपुर, जैसलमेर और बाड़मेर के लोगों ने मुझे चुनाव के लिए प्रेरित किया, इसलिए उस रास्ते पर गया. जैसलमेर-बाड़मेर दोनों मेरी कर्मस्थली रही है. इसलिए वहीं से चुनाव लड़ना चाहता था. वहां मैदान में उतर भी गया, लेकिन कुछ कारणों से मैं चुनाव नहीं लड़ पाया. चुनाव के लिए मेरी कोई तैयारी नहीं थी, न ही मुझे राजनीति करनी है. मेरी पहली प्राथमिकता बेहतर पुलिस सर्विस है. इसलिए पुलिस सर्विस ही करूंगा. आईपीएस बनना मेरा सपना था. इसलिए इसी में काम करना है.


पुलिस का चेहरा बेहतर हो
पंकज का कहना है कि मैं पूर्वांचल से आता हूं. वहां पर क्राइम को करीब से देखा है. पुलिस की कार्यशैली कैसे और बेहतर रहे इसके लिए हमेशा काम करने की इच्छा थी. मुझे आईपीएस ही बनने का मन था जो मैंने किया. सरफरोश मूवी देखने के बाद मन पूरी तरह से पुलिस में जाने को किया. लगा कि आईपीएस अधिकारी बनके कुछ बेहतर कर पाऊंगा. समाज की सेवा करना है, पुलिस के चेहरे को बदलना है, नौकरी नहीं बल्कि समाज में बदलाव और बेहतर करने की तमन्ना यहां खींच लाई. पुलिस में अच्छे अधिकारियों को सामने लाना चाहिए, जो भ्रष्ट हैं उन्हें दण्डित करना चाहिए. इससे समाज में अच्छा संदेश जाता है.


रिकॉर्ड नहीं काम बेहतर करना है
पंकज का कहना है कि रिकॉर्ड बनाने के लिए नौकरी नहीं करता हूं. मैं नए अधिकारियों के लिए यही संदेश देना चाहता हूं कि कम समय में बेहतर कार्य करके समाज को नई दिशा दीजिए न कि लंबी नौकरी करके समय काटिए. बड़ी नौकरी मायने नहीं रखती बल्कि उस नौकरी का इम्पैक्ट ज्यादा मायने रखता ह. थानों की पुलिस को और बेहतर करना होगा. पुलिस को लोगों का मित्र बनाना चाहिए. साथ ही पुलिस को भी थोड़ा बेहतर माहौल मिले, जिससे वो बेहतर काम कर पाएं.



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