Sewant Muni Death: अखिल भारतवर्षीय साधुमार्गी जैन संघ आचार्य नानेश के प्रथम शिष्य शासन प्रभावक सेवंत मुनि की पार्थिव देह बुधवार को पंचतत्व में विलीन हो गई . राजस्थान में ब्यावर शहर के हिंदू सेवा मोक्षधाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया. मुनि के सांसारिक भतीजे नरेश ढाबरिया, रामपाल ढाबरिया ने साधुमार्गी जैन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौतमचंद रांका, समता युवा संघ के राष्ट्रीय महामंत्री दीपक मोगरा, ब्यावर संघ अध्यक्ष अरविंद मूथा, महामंत्री चेतन हींगड़ व श्रीसंघ के पदाधिकारियों की उपस्थिति में चिता को मुखाग्नि दी. इससे पूर्व समता भवन में मुक्तिधाम तक महाप्रयाण यात्रा निकाली गई. मुनि के अंतिम करने देशभर से सैकड़ों श्रावक ब्यावर पहुंचे. शहर के विभिन्न मार्गों से निकली अंतिम यात्रा में जयकारे गूंजे रहे थे.


भीलवाड़ा के बनेड़ा गांव में हुआ था जन्म


मुनिश्री को देशभर में तपस्वी राज बापजी महाराज के नाम से जाना जाता था. उनका जन्म 31 अक्टूबर 1944, कार्तिक सुदी 15 संवत 2000 को भीलवाड़ा जिले के बनेड़ा गांव में हुआ था. नवीं कक्षा तक अध्ययन करने के बाद 19 वर्ष की आयु में कार्तिक सुदी 3 संवत 2019 के पावन दिन उन्होंने गुरु आचार्य गणेशीलाल महाराज की आज्ञा से युवाचार्य नानालाल महाराज उदयपुर में दीक्षा ग्रहण की थी. 6 जून 2022, जेठ सुदी 2 संवत 2079 की शाम 4.40 बजे विनय मुनि महाराज ने उन्हें तिविहार संथारा ग्रहण कराया था. 7 जून 2022 की शाम को 6.31 बजे संथारा सीज जाने से देवलोकगमन हो गया.


18 साल से ब्यावर में था स्थिरवास


राष्ट्रीय संत सेवंत मुनि का 78 वर्ष की उम्र में मंगलवार शाम संथारा सहित देवलोक गमन हो गया था. वे बीते करीब 18 साल ब्यावर के समता भवन में स्थिरवास कर रहे थे. यहां कई शिष्यों ने उनकी महिमा बताते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए. नोखा निवासी प्रदीप हेमलता बांठिया, महेंद्र सांखला, हस्तीमल गुलेछा, महावीर, दीपक मोगरा, महेंद्र गदिया, गौतम रांका ने विचार रखे.


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देशभर से आए संघ सदस्य रहे मौजूद


महाप्रयाण यात्रा में जसराज वैद, गौतमचंद लुणिया, सुमन राठौड़, सोहनलाल रांका, गौतम चौधरी, नोरतमल बाबेल, लक्ष्मीचंद भंसाली, राजेश सेठिया, मनीष जांगड़ा, प्रवीण मकाणा, मोहित जैन, महावीर रांका, प्रकाश रांका, चांदमल बड़ौला, हुक्मीचंद ओस्तवाल, अंकुश बोहरा, प्रकाश मेहता, बाबूलाल नाबेड़ा, महावीर लुणावत, ज्ञानचंद विनायकिया, हस्तीमल जैन, तनसुख गुलेछा सहित मुंबई, रतलाम, बीकानेर, जयपुर, नोखा, नीमच, भीलवाड़ा, अजमेर, पाली, जोधपुर, राजसमंद व अन्य कई जिलों व शहरों के सैकड़ों श्रावक-श्राविका मौजूद रहे.


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