BJP National Executive Meeting in Jaipur:  कांग्रेस के चिंतन शिविर के बाद अब राजस्थान (Rajasthan) में बीजेपी (BJP) बड़ी बैठक करने जा रही है.  20 और 21 मई को होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में संगठन और सरकार की मजबूती , दोनों के बीच आपसी रिश्तों और चुनाव में जाने वाले राज्यों के लिए नीति रणनीति बनाने पर जोर दिया जाएगा .अगर राजस्थान की बात करें तो कांग्रेस अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की दरारों को नहीं पाट सकी लेकिन सवाल उठ रहा है कि क्या बीजेपी वसुंधरा राजे और और सतीश पूनिया के बीच के मनमुटाव को पाट पाएगी ?


चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर लड़ा जाएगा


दरअसल वसुंधरा राजे खेमा चाहता है कि उनके ही नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाए यानी जीतने की सूरत में वसुंधरा राजे को ही मुख्यमंत्री बनाया जाए . एक तरह से कहे तो वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने पर जोर दिया जा रहा है. लेकिन बीजेपी आला कमान करीब-करीब साफ कर चुका है कि चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर लड़ा जाएगा. चुनाव जीतने पर विधायक दल तय करेगा कि कौन मुख्यमंत्री बनेगा . आसान शब्दों में कहा जाए तो तब आला कमान जिसे चाहेगा उसे मुख्यमंत्री बना दिया जाएगा. जाहिर है कि वसुंधरा राजे का नंबर कट भी सकता है.


मुख्यमंत्री पद के हैं कई दावेदार 


सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात तभी कही जाती है जब आला कमान को लगता है कि किसी एक को आगे करने पर गुटबाजी खेमेबाजी बढ़ जाती है. राजस्थान में एक दर्जन से ज्यादा मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं . सबसे उपर नाम तो दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी वसुंधरा राजे का है. लेकिन आला कमान के हिसाब से देखा जाए तो जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत पहली पसंद हैं . कहा जाता है कि पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद ही आला कमान ने तय कर लिया था कि शेखावत को ही आगे करना है. वह राजपूत हैं और जोधपुर से हैं जहां से अशोक गहलोत भी आते हैं और गहलोत के बेटे वैभव को लोकसभा चुनाव में हरा चुके हैं. उधर प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाल रहे सतीश पूनिया को लगता है कि उनकी महेनत जाया नहीं जाएगी. ओम माथुर , गुलाब चंद कटारिया भी लाइन में दिखते हैं . इन सबके बीच स्पीकर ओम बिरला को लगता है कि आपसी लड़ाई का फायदा उन्हें मिल सकता है . स्पीकर बनने के बाद उनका अपने संसदीय इलाके कोटा में आना जाना लगा ही रहता है. छोटी बड़ी घटना हो तो वह कोटा में नजर आते हैं. सवाल उठता है कि क्या इस बैठक में इस बात पर सभी गुटों की तरफ से मुहर लगवा दी जाएगी कि सामूहिक नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा .


बैठक में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं उन पर रहेगा जोर


 इसके अलावा बीजेपी की इस बैठक में उन राज्यों पर भी जोर दिया जाएगा जहां अगले दो सालों में विधानसभा चुनाव होने हैं . राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है लिहाजा इन राज्यों में संगठन पर जोर होगा . गुजरात हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, कर्नाटक में बीजेपी की सरकार है लिहाजा यहां सरकार और संगठन दोनों को मददेनजर रख रणनीति बनाई जाएगी . जहां जरुरी होगा वहां मुख्यमंत्री बदला जा सकता है. जहां गुटबाजी ज्यादा है वहां संगठन में बदलाव से इनकार नहीं किया जा सकता. प्रधानमंत्री मोदी वर्चुअल कॉन्फ्रेंस करेंगे और समापन भाषण जे पी नडडा का होगा. बैठक में मोदी जीत का क्या मंत्र देते हैं इसपर भी पदाधिकारिओं की नजर रहेगी . खास बात है कि यह बैठक तब हो रही है जब काशी मथुरा का मुद्दा उछल रहा है . जाहिर है कि उत्तर भारत के राज्यों में इसका कितना चुनावी फायदा उठाया जा सकता है इस पर भी बात होगी. 


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