Jaipur City Transport Services Limited: राजस्थान में एक ऐसा पॉवरफुल विभाग है जहां पर तीन महीने से अधिक समय तक कोई प्रबंध निदेशक नहीं टिक पाता. अधिकारी इस विभाग में तबादले के बाद आते हैं और 'T20' मैच की तरह फटाफट खेलकर चलते बनते हैं. बता दें कि ये विभाग कोई छोटा और कमजोर नहीं है. पूरे जयपुर शहर के सरकारी बसों की जिम्मेदारी इसी विभाग के कंधे पर है. कुल 300 बसों बेड़ा है जो शहर में जनता को यातायात की सुविधा दे रहा है. इस महत्वपूर्ण विभाग में जो भी एमडी बना औसतन 3 महीने से अधिक नहीं रहा.


सूत्रों की माने तो निजी बसों के मालिकों के दबाव का असर है कि कोई अधिकारी यहां टिक नहीं पाया. एक तरीके से देखा जाए तो सरकार को धता बताकर ये निजी बस संचालक अपना दबदबा इस निगम पर भी बनाये रखे हुए हैं. इसका असर है कि सरकारी बसों की संख्या में कमी भी आ रही है.


अभी तक इन अधिकारियों के कन्धों पर रही जिम्मेदारी


जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड की स्थापना वर्ष 2008 में की गई. इसकी पहली प्रबंध निदेशक IPS स्मिता श्रीवास्तव को बनाया गया. उसके बाद IPS विजेन्द्र झाला, IPS मालिनी अग्रवाल, IAS राजन विशाल, IAS लोकनाथ सोनी और RAS शुद्धि शर्मा को इसकी जिम्मेदारी मिली. इसके बाद वर्ष 2014 में  RAS जगरूप सिंह यादव को जब से जिम्मेदारी मिली तभी से यहां तीन महीने से अधिक कोई अधिकारी टिक नहीं सका. वर्ष 2015 में नरेश कुमार शर्मा, RAS नीलिमा तक्षक, RAS (अति. कार्य.) के बाद RAS नरेश कुमार शर्मा, IAS चुन्नी लाल कायल, फिर से RAS नरेश कुमार शर्मा ने यहां कि जिम्मेदारी को संभाला.


इसके बाद IFS आकांक्षा चौधरी, RAS (अति. कार्य.) नीलिमा तक्षक, IFS आकांक्षा चौधरी, RAS (अति. कार्य.) नीलिमा सक्षक, IAS (अति. कार्य.) सुरेश कुमार ओला, IAS श्यामलाल गुर्जर, RAS (अति. कार्य.) वीरेन्द्र कुमार वर्मा, IAS श्यामलाल गुर्जर ने इस जिम्मेदारी को संभाला. इसके बाद IAS नरेन्द्र कुमार गुप्ता, RAS (अति, कार्य.) वीरेन्द्र कुमार वर्मा, IAS नरेन्द्र कुमार गुप्ता, IAS नवीन जैन, RAS (अति. कार्य.) वीरेन्द्र कुमार वर्मा, IAS यज्ञमित्र सिंह देव, RAS (अति, कार्य.) वीरेन्द्र कुमार वर्मा, IAS लोकबंधु, IAS डॉ. प्रतिभा सिंह, IAS राजेन्द्र किशन, IAS डॉ. जोगाराम के बाद से अब आईएएस अजिताभ शर्मा यहां पर प्रबंध निदेशक की जिम्मेदारी संभाल रहे है.




प्राइवेट बसों के मालिकों का असर


जयपुर शहर में छोड़ी-बड़ी मिलाकर कुल 300 सरकारी बसें हैं जो जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड से संचालित की जा रही है लेकिन साथ ही साथ सभी रूटों पर प्राइवेट बसों का भी जाल बिछा हुआ है.  सूत्रों का कहना है कि ये निजी बस मालिक इतने प्रभावशाली हैं कि उसका पूरा असर यहां दिखाई देता है. शहर में छोटी प्राइवेट बसें खूब धूम-चौकड़ी भरते हुए नजर भी आती है. ओवरलोडिंग के साथ कोई समुचित सुविधा भी नहीं दिखती. फिर भी उनकी बसें खूब तेजी से सड़कों पर दौड़ रही हैं मगर उनकी स्पीड में जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अपने को संभाल नहीं पाते. यहां हर चार महीने के अंतराल पर एक नए एमडी की नियुक्ति हो जाती है.


सरकार गंभीर नहीं है


वर्ष 2014 से जिस तरीके से सरकार ने जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक के पद को ताश के पत्तों की तरह फेट डाला है. उससे यही दिखता है कि सरकार खुद इस बात को लेकर गंभीर नहीं है. अधिकारियों को कुछ काम करने का मौका भी नहीं मिल पाता. यह विभाग कई बार अतरिक्त प्रभार वाले अधिकारियों के हवाले भी रहा है. कुल मिलाकर सरकार पूरी तरह से इस विभाग पर गंभीर नहीं है.


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