Rajasthan News: बेटियों के लिए जयपुर हुआ बेहतर, सोशल अवेयरनेस से जन्मदर में हुई बढ़ोतरी, झुंझुनू में भारी गिरावट
Rajasthan: अब जयपुर में बेटियों के जन्म दर में सुधार हो गया. कई बार यहां बहू लाने के लिए दूसरे राज्यों का रूख करना पड़ता था लेकिन पिछले कुछ वर्षों से राजस्थान में इसकी स्थिति सुधरने लगी.
Jaipur News: राजस्थान में बेटियों का जन्म दर अनुपात कम होता था. कई बार यहां बहू लाने के लिए दूसरे राज्यों का रूख करना पड़ता था लेकिन पिछले कुछ वर्षों से राजस्थान में इसकी स्थिति सुधरने लगी है. अब जयपुर में बेटियों के जन्म दर में सुधार है, उनके लिए माकूल माहौल बनता दिखाई दे रहा है. महिला अधिकारिता आयुक्त पुष्पा सत्यानी ने बताया कि यह एक लंबा प्रयास है. इसके लिए मेहनत और कोशिश दोनों जारी थी जो अब दिखाई देने लगा है. उनका ये भी कहना है कि सोशल अवेयरनेस इसके लिए ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. वर्ष 2020-21 में जयपुर में बेटियों का जन्मदर 927 था वहीं अब 938 हो गया है. इसे बेहतर संकेत माना जा रहा है. वहीं झुंझुनू की स्थिति में भारी गिरावट है.
प्रदेश के टॉप टेन जिलों के हाल
जयपुर में जहां वर्ष 2020-21 में बेटियों का जन्मदर 927 था वहीं अब 938 हो गया, कुल 11 की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. वहीं दौसा में यह दर 922 था अब 934 है, लेकिन झुंझुनू में सबसे बड़ी गिरावट है. वहां जन्मदर 979 था वहीं अब 939 हो गया है. सबसे ज्यादा गिरावट झुंझुनू जिले में है, वहीं सबसे अधिक बढ़ोत्तरी बांसवाड़ा जिले में है, टोंक में भी गिरावट है. पिछले साल यहां जन्मदर 922 था और इस बार 915 हो गया जो 7 कम है. उदयपुर में भी 16 अंकों की गिरावट है. बूंदी में जन्मदर 938 की जगह 939 दर्ज किया. सीकर में 948 की जगह 953 हो गया है. जैसलमेर जिले में कोई बदलाव नहीं है, यहां जन्मदर 971 की जगह 971 ही है. राजसमंद में भी बड़ा बदलाव है, इस जिले में कुल जन्मदर 943 की जगह 962 हुआ है.
सरकार और समाज का मिलाजुला प्रयास
राजस्थान में पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने कई योजनाएं चलाई है. जैसे बेटी जन्मोत्सव, मुख्यमंत्री राजश्री योजना, ब्रांड एंबेसेडर, बेटी बचाओ की शपथ, अपना बच्चा-अपना विद्यालय, बेटी के जन्म पर पौधरोपण, कलक्टर क्लास का भी सकारात्मक असर माना जा रहा है. वहीं वर्ष 2016 से 2019 के बीच खूब डिकॉय ऑपरेशन किये गए. वहीं समाज ने भी पहल की है, कम बच्चे पैदा करना, बेटियों को लेकर खुश होना, बेटियों ने अपने कार्यों से समाज के माहौल को बदला है.
बहुत बदलाव होगा
महिला अधिकारिता आयुक्त पुष्पा सत्यानी ने इस बात पर जोर दिया कि बिना समाज की जागरूकता के कुछ बदलाव नहीं हो पाता. इसके लिए सरकार के प्रयास और समाज की पहल ने सब कुछ बदला है. हालांकि जिन जगहों पर बदलाव नहीं हुए हैं वहां बदलाव के प्रयास जारी हैं. आने वाले दिनों में उसकी तस्वीर साफ दिखेगी.