Rajasthan Police: राजस्थान में अब अपराधियों और बदमाशों को पकड़ने के लिए एक बड़ी पहल शुरू हुई है. हालांकि, ये काम कई राज्यों में पहले से ही पुलिस कर रही है. अब जयपुर पुलिस ने इसपर काम शुरू किया है. इसके लिए जयपुर पुलिस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक वाले कैमरे का प्रयोग करेगी. इसका ट्रायल भी हो गया है. इन कैमरों के जरिए फेस रिकग्निशन वाले ऐप को जोड़ा जाएगा, जिससे बदमाशों को पकड़ने में मदद मिलेगी. इसकी मॉनिटरिंग सीधे पुलिस करेगी. इसका विधिवत ट्रायल जयपुर के गोविंद देवजी मंदिर में किया गया. इस दौरान 10 से अधिक बदमाशों को पकड़ा गया है. इस ट्रायल को पुलिस सफल मान रही है.



मॉब लिंचिंग केस को सुलझाने में की थी मदद
लगातार बढ़ रहे अपराध पर कंट्रोल करने के लिए पुलिस ने यह प्रयोग शुरू किया है. बताया गया है कि AI ने अलवर में हुई मॉब लिंचिंग केस को सुलझाने में मदद की थी. राजस्थान पुलिस ने दिल्ली की एक कंपनी को ट्रायल बेस के लिए हायर किया था. इसके बाद पुलिस को लगा कि ये तकनीक बेहतर साबित हो सकती है. 

जानिए कैसे करता है ये काम ? 
दरअसल, इसके काम करने के तरीकों को जानना बेहद जरूरी होता है. जयपुर शहर के सर्किल्स पर AI टेक्निक वाला कैमरा लगाया जाएगा और वहां से सीसीटीवी फुटेज मेन सर्वर तक पहुंचा देगा. इसके बाद फेस रिकग्निशन वाला ऐप पहले से अपलोड तस्वीरों से चेहरों का मिलान करना शुरू कर देगा. जानकारी के अनुसार कुछ सेकंड में ही ये ऐप AI की मदद से अपराधी का चेहरा पहचान लेता है. इससे कितनी भीड़ हो या कहीं चौराहे पर कहीं भी बदमाश या अपराधी दिखेगा उसका फेस यह पढ़ लेगा. 

पहली बार हुआ है यूज 
जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ बयानों के मुताबिक राजस्थान पुलिस ने पहली बार इस ऐप का उपयोग किया है. यह बेहतर रहेगा. पुलिस के पास अपराधियों का डेटा (फोटो, फिंगर प्रिंट, रेटिना) सब कुछ उपलब्ध है. जिसका Face Recognition App का ट्रायल रन के दौरान उपयोग किया गया था. सफलता के तौर पर कई अपराधियों को पकड़ा गया है.


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