Rajasthan: जब भी हम राजस्थान में वाइल्डलाइफ की बात करते हैं तो हमारे सामने रणथंबोर, सरिस्का टाइगर रिजर्व, मुकुंदरा टाइगर रिजर्व, भरतपुर पक्षी विहार जैसे कई अभ्यारण और जगहों के नाम याद आते हैं. यहां पहुंचकर हम वाइल्डलाइफ सफारी और ट्रेकिंग का मजा ले सकते हैं. अगर आप भी वाइल्डलाइफ के शौकीन हैं और खासकर तेंदुओं को झुंड में देखना चाहते हैं, तो एक जगह है जो बहुत खास है. हम बात कर रहे हैं पाली जिले में स्थित जवाई की जो तेंदुओं और अलग-अलग प्रजातियों के पशु पक्षियों का घर कहा जाता है. 


राजस्थान के पाली जिले का वाइल्डलाइफ जवाई हिल्स एक बहुत ही रोमांटिक और खूबसूरत जगह है. जवाई बांध, घास के मैदान, लूनी नदी के किनारों और बड़ी-बड़ी पहाड़ी घाटियों से गिरा हुआ है. जवाई की हजारों साल पुरानी पहाड़ियों को प्राकृतिक रूप से गुफाओं का आकार दिया गया था. इसे तेंदुओं, धारीदार हायना के साथ-साथ कई पशु पक्षीयों ने अपना घर बना रखा है. जवाई पैंथर के साथ-साथ हायना मगरमच्छ और कई प्रवासी पक्षियों के लिए भी जाना जाता है.


जवाई में स्थित बेरा गांव की पहाड़ियों को पैंथर हिल्स और जिया लेपर्ड हिल्स ऑफ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है. भारत में बाकी अभयारण्य वन क्षेत्र के जंगल में तेंदुए देखने को नहीं मिलते हैं, लेकिन यहां आप उन्हें आसानी से देख सकते हैं. ये हमेशा चट्टानों पर बैठे रहते हैं. पाली जिले का ये बेरा गांव देश के हजारों अन्य गांवों की तरह ही एक साधारण गांव है, लेकिन फिर भी पिछले कुछ वर्षों में यह गांव भारत के मानचित्र पर तेजी से उभरा है.


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गांव  में रहते हैं 40 से 50 तेंदुए
यह गांव तेंदुए और इंसान के बीच एक आदर्श रिश्ते का उदाहरण है. लोगों की आबादी के बीच रह रहे तेंदुओं का व्यवहार ऐसा है कि दुनिया में किसी भी जगह आपको देखने को नहीं मिलेगा. तेंदुए का झुंड आपने कहीं नहीं देखा होगा, लेकिन इस छोटे से गांव में तेंदुए आपको झुंड में दिख जाएंगे. ये बेरा गांव अरावली की पहाड़ियों में स्थित है.आपको जानकर हैरानी होगी कि इस छोटे से गांव में 40 से 50 तेंदुए रहते हैं.


यहां तेंदुओं और इंसानों के बीच एक अनोखा रिश्ता देखने को मिलता है. यहां तेंदुओं ने आज तक किसी भी इंसान पर हमला नहीं किया. इतना ही नहीं इंसानों ने भी उन्हें कभी नुकसान पहुंचाया. वास्तव में इस क्षेत्र में तेंदुओं को एक स्थानीय देवी की अभिव्यक्ति के रूप में मानते हैं. इसीलिए उन्हें संरक्षित करने के लिए उनकी खास देखभाल की जाती है. इस क्षेत्र में अवैध शिकार न के बराबर है. यहां 40 से 50 तेंदुओं की आबादी रहती है.


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