Rajasthan: 'तारीख-पे-तारीख' के जुमले को उपभोक्ता आयोग ने झुठलाया, विद्युत उपभोक्ता को चौथी पेशी पर ही मिला न्याय
Jodhpur News: 'तारीख-पे-तारीख' के जुमले को जिला उपभोक्ता संरक्षण आयोग द्वितीय ने चौथी तारीख पर ही न्याय देकर झूठा साबित कर दिया है. आप भी जानें पूरा मामला क्या है.
Jodhpur Consumer Protection Commission: जोधपुर न्यायालय धीमी व्यवस्था को लेकर चर्चित है. 'तारीख-पे-तारीख' के जुमले को जिला उपभोक्ता संरक्षण आयोग द्वितीय ने चौथी तारीख पर ही न्याय देकर झूठा साबित कर दिया है. दरअसल, गवाल बेरा, नारवां निवासी गोपाराम और देवाराम ने डिस्कॉम, मंडोर के सहायक अभियंता के विरुद्ध आयोग में परिवाद प्रस्तुत कर बताया कि उनकी तरफ से 3 वर्ष पहले आवेदन करने और विभाग द्वारा संपूर्ण राशि जमा करा लेने के बावजूद अभी तक विद्युत कनेक्शन (Electricity Connection) उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा है. डिस्कॉम (Discom) की ओर से जवाब प्रस्तुत कर बताया गया कि प्रार्थी को दिसंबर, 2019 में ही कनेक्शन के आदेश जारी कर दिए गए लेकिन पड़ोस के लोगों की तरफ से बाधा उत्पन्न की गई जिसकी वजह से कनेक्शन नहीं किया जा सका. प्रार्थी की तरफ से पुलिस सहायता उपलब्ध करवाने पर ही कनेक्शन किया जा सकता है.
इतने दिनों में कनेक्शन दिया जाना आवश्यक है
आयोग के अध्यक्ष डॉ श्याम सुन्दर लाटा, सदस्य डॉ अनुराधा व्यास, आनंद सिंह सोलंकी की बेंच ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद निर्णय में कहा कि विद्युत अधिनियम की धारा 43 के अनुसार उपभोक्ता द्वारा आवेदन करने पर विद्युत कंपनी की तरफ से एक माह के अंदर कनेक्शन दिया जाना आवश्यक है. कनेक्शन के लिए कानून-व्यवस्था बनाए रखने और पुलिस सहायता लिए जाने की ड्यूटी विभाग की है, ना कि उपभोक्ता की. आयोग ने कनेक्शन में विलंब के लिए डिस्कॉम की सेवाओं में कमी मानते हुए उपभोक्ता को एक माह में कनेक्शन नहीं देने पर दो 100 रुपए प्रतिदिन हर्जाना अदा करने का आदेश दिया है.
तारीख पे तारीख नहीं, चौथी तारीख पर ही मिल गया न्याय
मामले में परिवादी की तरफ से शिकायत दर्ज कराने पर आयोग ने पहली पेशी के दौरान पर संज्ञान लिया और विपक्षी को नोटिस जारी किए. दूसरी पेशी पर डिस्कॉम का जवाब और तीसरी पेशी पर दोनों पक्षों के साक्ष्य लिए जाने के बाद आयोग ने चौथी पेशी पर ही उपभोक्ता के पक्ष में निर्णय दे दिया. उपभोक्ता कानून के मुताबिक शिकायत का निपटारा करने की अवधि चार माह निर्धारित है लेकिन इस मामले में आयोग ने एक माह से भी कम समय में उपभोक्ताओं को न्याय देकर रिकॉर्ड कायम किया है.
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